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मोदी जी की 'हर घर नल' योजना पूरा करेगी हर घर को साफ जल देने का सपना

नई दिल्ली: जल ही जीवन है यह सच है पर सच यह भी है कि भारत के कई राज्यों के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी पीने के लिए साफ पानी को तरस रहे हैं, इसलिए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने हर घर को साफ जल देने का बीड़ा उठाया है। रविवार को प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जिले में 'हर घर नल' योजना की शुरुआत की। उत्तर प्रदेश का मिर्ज़ापुर जिला हो या बुंदेलखंड का क्षेत्र जल का संकट क्या होता है वहाँ की जनता बखूबी जानती है। इसलिए जब 'हर घर नल' जैसी महत्वपूर्ण योजना देश के गांव में आती है तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है।      

आजादी के बाद से अब तक में मात्र 398 गावों को पाईप लाईन पानी की सप्लाई से जोड़ा गया है और मोदी जी की नेतृत्व में योजना की शुरुआत में ही मिर्ज़ापुर और सोनभद्र के लगभग 3000 गावों को इस योजना से जोड़ा गया है।  

Dhan

धनतेरस पर इनकी खरीददारी से मिलेगी तरक्की, होंगे समृद्ध

दीपों का त्यौहार दीवाली आ गयी है। दीवाली धनतेरस के दिन से ही शुरू हो जाती है। धनतरेस कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन खरीददारी का खास महत्व होता है। इस दिन खरीद हुई चीजें साल भर आपको सम्पन्न बनाएं रखती हैं। 

घर में लाएं मिट्टी के दीप

धनतेरस के दिन दीए जरूर खरीदें। मिट्टी के दीए साफ कर पवित्र मन से जलाएं। यह आपके घर के लिए न केवल शुभ होते हैं बल्कि घर के सदस्यों को अकाल मृत्यु से भी बचाते हैं।

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अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करती हैं करवा चौथ व्रत

करवा चौथ का व्रत सभी सुहागिन स्त्रियों के लिए खास होता है। लगभग देश भर में महिलाएं पूरी श्रद्धा से यह व्रत करती हैं। इस साल कुछ विशेष प्रकार के शुभ संयोग बनने के कारण करवा चौथ का व्रत महत्वपूर्ण है, इसलिए महिलाएं सच्ची श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। इस व्रत में दिन भर निर्जला व्रत के साथ ही सुबह सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण करने का भी खास विधान है। 

जाने करवा चौथ के बारे में 

इस साल करवा चौथ 4 नवम्बर को पड़ रहा है। करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रोदय के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर सुहागिन औरतें व्रत रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखमय व्यतीत होता है। ये व्रत सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाता है और चांद निकलने तक रखा जाता है।

Valmiki

रामायण की रचना कर महाकवि कहलाएं महर्षि वाल्मीकि

आदि कवि महर्षि वाल्मीकि के जन्मदिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। वाल्मीकि जयंती के दिन शरद पूर्णिमा और कोजागारी लक्ष्मी पूजा भी की जा रही है। साथ ही राजस्थान में इस दिन को प्रगति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महर्षि वाल्मीकि की जीवनी बहुत रोचक है तो आइए वाल्मीकि जयंती के अवसर महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं पर चर्चा करते हैं। 

जाने महर्षि वाल्मीकि के बारे में  

महर्षि वाल्मीकि को वैदिक काल के महान ऋषि के रूप में जाना जाता है। वाल्मीकि को एक नहीं बल्कि कई भाषाओं का ज्ञान था। महाकाव्य रामायण की रचना करने के कारण उन्हें आदिवकवि कहा जाता है। पौराणाकि मान्यताओं के अनुसार वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप के नौवें पुत्र वरूण तथा चर्षणी के घर में हुआ था।  उनके भाई का नाम भृगु था। एक बार वह तपस्या में लीन थे। तप करने के दौरान दीमकों ने उनके शरीर पर अपना घर बना लिया। शरीर पर दीमकों के घर बनाने के कारण उन्हें वाल्मीकि नाम दिया गया। बचपन में उन्हें एक भीलनी चुरा कर ले गयी थी और अपने बच्चे की तरह पाला। भील के यहां पलने के कारण ही वह आजीविका के लिए डकैती का काम करते थे। 

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उपवास में उत्साह बनाएं रखने के लिए करें उपाय

नवरात्र आने वाला है, ऐसे में मौहाल भक्तिमय हो गया है। देवी मां का आर्शीवाद पाने के लिए और अपनी मनोकामना पूरी करने हेतु लोग व्रत रखते हैं। शारदीय नवरात्र में एक तरफ तो धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं तो दूसरी तरफ उत्सव की तैयारियां भी धूमधाम से की जाती है। 

नवरात्र में भक्त अपनी शक्ति के अनुसार व्रत रखते हैं। कुछ लोग नवरात्र के पहले और अंतिम दिन व्रत रखते हैं तो कुछ भक्त नौ दिन उपवास करते हैं। उपवास यथाशक्ति करें , लेकिन व्रत में सावधानियां भी रखना जरूरी है। ये बातें न केवल आपको व्रत में शक्ति देती हैं बल्कि आपके व्रत का उद्देश्य भी पूरा हो जाता है।