फीचर
अध्यात्म पर एक नजर संक्षेप में
"गीता" कहती है मनुष्य अपने पूर्व कृत, कर्म फलों के अनुसार अच्छी या बुरी योनि में जन्म लेता है, तदनुसार ही कर्म करता है। इस कर्म की मुख्यतः तीन श्रेणियां हैं - सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण।
यहां हम सिर्फ एक गुण पर चर्चा करेंगें यानिकि सतो गुण। सतो गुणी की प्रायः दिव्य कार्यों में रुचि होती है, जन्म किसी विशिष्ठ कुल में या पूर्व जन्म, के कर्म के आधार पर, किसी स्त्री विशेष के कोख से, स्थान विशेष पर होता है। जहां से उनके लिए आगे का मार्ग प्रशस्त होता है। हमारा जन्म cause & effect के सिद्धांत पर आधारित है -- "जैसा कर्म वैसा जन्म"।
राष्ट्र निर्माण के 75 वसंत
भारत 75वें स्वतंत्रता दिवस की ओर अग्रसर हो रहा है । यह मात्र एक दिवस या एक उत्सव नहीं बल्कि उस यात्रा का गंतव्य है जो कई वर्षों तक स्वर्णिम स्वप्न की तरह सींचा गया। 1888 में ब्रिटैन के सांसद जॉन स्त्रचेय ने कहा कि मैं तमिल और पंजाब के नागरिकों को एक साथ एक राष्ट्र की तरह देखने की कल्पना भी नहीं कर सकता, परंतु यथार्थ उनकी कल्पना पर कटाक्ष है जहां एक पंजाबी कप्तान और केरल के गोलकीपर के साथ भारत हॉकी के मैदान से पदक तालिका तक पहुँचता है।
विश्व पटल पर भारत को राष्ट्र के रूप में देखना कई लोगों के लिए एक विडम्बना से कम नहीं है। सालों तक अंतरराष्ट्रीय बुद्धिजीवी वर्ग इस पूर्वाग्रह से ग्रसित रहा कि भारत जातिवाद, प्रांतवाद ,भाषावाद, धार्मिक भेद-भाव इत्यादि के द्वंद्व में फंसकर एक राष्ट्र के रूप में विफल हो जाएगा। उनके मस्तिष्क में भारत को लेकर इस भाव की उत्पत्ति भारत की ही कु-चेतनाओ ने की। हाल ही में पूर्व विदेश सचिव बिजय गोखले की किताब में इस तथ्य को सुक्ष्म रूप से उजागर भी किया गया, लेकिन षड्यंत्रो के विपरीत देश की अखंडता अक्षुण्ण रही ।