अधिक मास में पूजा-अर्चना से होती है पुण्य की प्राप्ति

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अधिक मास प्रारम्भ हो चुका है। हर तीन साल पर आने वाले अधिक मास में वैसे तो किसी प्रकार के शुभ कर्म नहीं किए जाते हैं लेकिन धार्मिक कार्य करने से पुण्य जरूर मिलता है। कोरोना संक्रमण के दौरान अधिकमास में मन को शांत रखने के लिए घर में आराधना कर ईश्वर को प्रसन्न करें

अधिक मास के विषय में जानकारी 

हिंदू धर्म में अधिक मास का विशेष महत्व है। अधिक मास को मलमास तथा पुरुषोत्तममास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आश्विन मास में अधिकमास पड़ रहा है। इस बात का खास अर्थ है इस साल दो प्रकार के आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में हिन्दुओं के कई प्रकार के त्यौहार मनाएं जाते हैं। लेकिन इस साल अधिकमास में कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। 

जानें रोचक पौराणिक कहानी 

हिन्दू धर्म में अधिकमास से जुड़ी हुई एक रोचक कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार समय बीतने के साथ अधिक मास को लोग मलमास भी कहने लगे। मलमास कहने से अधिकमास बहुत दुखी हो गए और उन्होंने अपनी परेशानी को भगवान विष्णु के सामने रखा। अधिकमास का कोई स्वामी नहीं होता है इसलिए अधिक मास को मलमास कहा जाने लगा। तब भगवान विष्णु ने अधिकमास को वरदान किया कि अब मैं तुम्हारा स्वामी हूं और पुरुषोत्तम नाम दिया। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है इसीलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। साथ ही भगवान विष्णु ने कहा कि जो भी व्यक्ति अधिक मास में मेरी पूजा, और आराधना करेगा उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।

अधिकमास पर कोरोना का असर 

अधिकमास में दान- पुण्य का विशेष महत्व होता है। साथ ही पूजा-पाठ व श्रीमद् भागवत कथा हेतु भी पुरुषोत्तम मास पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में दान-पुण्य के लिए लिए लोग घरों से बाहर जाते हैं। इसके अलावा जगह-जगह कथाएं भी होती हैं लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण कथा प्रसंगों में जाने से लोग बच रहे हैं। साथ ही लोग तीर्थ यात्राएं करने से परहेज कर रहे हैं, ऐसे माहौल में अधिकमास में धूमधाम कम ही दिखाई दे रही है। लेकिन आप अपने घर में ईश्वर की आराधना कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। 

अधिकमास में रखें ये सावधानियां

वैसे तो शास्त्रों में अधिक मास महत्वपूर्ण स्थान रखता है लेकिन पंडितों के अनुसार इस महीने में कुछ कार्यों का निषेध भी किया गया है। अधिक मास में नई चीज की खरीदारी नहीं करना चाहिए। सभी प्रकार के शुभ कर्म निषेध किए गए हैं इसीलिए पुरुषोत्तम मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस महीने में कपड़े गहनें, घर, दुकान, कार की खरीदारी नहीं की जाती है। इस दौरान विवाह से जुड़े कार्य भी नहीं किए जाते हैं। साथ ही हिन्दू धर्म में होने वाले विभिन्न प्रकार के संस्कार जैसे यज्ञोपवीत संस्कार, नामकरण तथा अन्य धार्मिक संस्कार भी नहीं किए जाते हैं।    

अधिकमास में पूजा-पाठ का है विशेष महत्व 

हिन्दू धर्म में अधिकमास के दौरान पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है। इस महीने में विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना के साथ अन्य देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। इस दौरान स्नान, पूजा, अनुष्ठान तथा पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। 

विशेष संयोग में आया है यह अधिकमास 

इस वर्ष कोरोना संक्रमण के दौरान आने वाला अधिकमास विशेष संयोग में पड़ रहा है। ऐसा संयोग 160 साल में एक बार आता है। इस तरह का संयोग 2039 में दुबारा आएगा। इस साल संयोग बहुत खास है इसमें लीप ईयर और अधिकमास दोनों एक साथ पड़ रहा है। इस साल अधिक मास 18 सितंबर से प्रारम्भ हो रहा है और 16 अक्टूबर 2020 को खत्म हो रहा है। इस साल अधिकमास में कई प्रकार के शुभ संयोग भी आ रहे हैं। 

सत्यनारायण भगवान की पूजा से होगा लाभ  

अधिकमास में विष्णु भगवान की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस महीने में अन्य किसी प्रकार के शुभ कार्य तो नहीं किए जाते हैं लेकिन सत्यनारायण की कथा से विशेष लाभ होता है। ऐसी माना जाता है कि विष्णु भगवान की पूजा से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-समृद्धि से भर जाता है। साथ ही अधिकमास में महामृत्युजंय का जाप लाभकारी होता है। अगर आप पंडित को घर में नहीं बुला सकते तो खुद से यह पाठ करें। घर में सत्यनारायण की कथा कहने तथा सुनने से न केवल घर के सभी वास्तु दोष दूर होते हैं बल्कि सुख-समृद्धि भी आती है। 

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