29 और 30 नवम्बर को विवेकानंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोफेशनल स्टडीज, इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय के पत्रकारिता व् जनसंचार निकाय ने मनाया मीडिया का वार्षिक महोत्सव , जहां 2020 में कोरोना के कारण श्रृंखला ऑनलाइन माध्यम पर केंद्रित रहीं ,वहीं इस वर्ष ऑनलाइन और ऑफलाइन के सही मापदंड ने स्पंदन को छात्रों के लिए और दार्शनिक बनाया
उत्सव की शुरुआत मीडिया पंचायत से हुई जहाँ , खुर्रम रज़्ज़ा ,वंदना सिंह और सुभाष सेथिआ के साथ निकाय की डीन डॉ चारुलता सिंह और चेयरपर्सन प्रोफ सिद्धार्थ मिश्रा ने बदलते दौर में मीडिया के परिवर्तन पर अपनी बात रखी वहीं मूल विषय मीडिया और राष्ट्र निर्माण के 75 वर्ष को भी अपने वक्तव्य से सार्थक बनाया , सवाल जवाब के मंथन और माँ सरस्वती की वंदना के साथ शुभारंभ हुआ स्पंदन 2021 का
जहां कला ,समाज कल्याण और मनोरंजक गतिविदियों के विभिन्न आयोजन व प्रतियोगिताएं के संकलन के साथ तृतीय वर्ष के छात्रों ने अपनी कार्य शैली और कर्त्ता भाव को एक नए आयाम पर प्रदर्शित किया ।
स्पंदन की पहली शाम संस्कृति की छटा ने सभागार में आंशिक रूप से हर उस कलाकार को जीवंत कर दिया जो समय के साथ भुला दिए जा रहे हैं ,छात्रों ने अपने गीत व नृत्य से प्रत्तिष्ठित संगीतकार लता मंगेशकर , सुल्तान खान ,जगजीत सिंह के साथ सोनल मानसिंह , पंडित बिरजु महाराज , न .राजम , देवू चौधरी और यामिनी कृष्णमूर्ति को याद किया। दर्शकों के लिए वह पल भाव विभोर करने वाला था जब स्वर्गीय देवू चौधरी को दी गयी श्रदांजलि की साक्षी उनकी पुत्र वधु रूमा चौधरी बनी । प्रस्तुति के उपरांत कॉलेज के चेयरमैन डॉ वत्स ने युवाओ में भारतीय संस्कृति के प्रति रूचि को नए भारत का स्मृति चिन्ह बताया , वहीं निकाय के चेयरपर्सन प्रोफेसर सिद्धार्थ मिश्रा को छात्रों के मार्गदर्शन के लिए शुभकामनाएं दी ।
स्पंदन के दूसरे दिन का आगाज़ सिनेपाहिल के फ़िल्मी सफर के साथ हुआ ,जहां मशहूर पत्रकार और राज्यसभा टीवी के गुफ्तगूं प्रोग्राम के रचयिता इरफ़ान ने छात्रों को रूबरू कराया फिल्म की उस दुनिया से जो 70 मम के स्क्रीन के बाहर होती है ,उनकी बातें ज्ञानवर्धक व प्रेरणा दायक रहीं वहीं अपने अनुभव के किस्सों से उन्होंने श्रोताओं को रोमांचित भी किया । आगाज़ के साथ स्पंदन की वह शाम दस्तक दे चुकी थी जिसके लिए सभी छात्र उत्सुक थे "शाम इ सिपाही" , किसी नाटककार की कृति पर प्रस्तुति ना कर विद्यार्थियों ने स्वरचित नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया भारतीय सेना के पराक्रम को आधारशिला मान कर जिसमे , 1947 में कश्मीर में काबलियों के आतंक और मेजर सोमनाथ शर्मा के शौर्य की गाथा , 2008 मुंबई हमले में मेजर जनरल अभय कुमार गुप्ता की संकल्प शक्ति और बालाकोट स्ट्राइक में एयर मार्शल सी हरी कुमार के पराक्रम को प्रदर्शित किया , नाट्य रूपांतरण ने अपने हर दृश्य से इस बात को रेखांकित किया की भारत के राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना बिना भारतीय सेना के संभव नहीं । सभागार नवरस के हर भाव को अपने आखों के सामने जीवित देख रहा था , वो भाव जब शहादत की खबर गांव पहुँचती है , वो भाव जब एक सैनिक विजय से तिरंगे को थामता है । वन्दे मातरम के उद्घोष के साथ छात्रों ने मंच से विदा लिया आयोजन के उपरांत कॉलेज के वाईस चेयरमैन सुनीत वत्स जी ने कॉलेज में न.सी.सी के आवरण की घोशणा कर छात्रों को राष्ट्र सेवा के लिए नया अवसर प्रदान किया । स्पंदन के २ दिन के संगम ने सिद्ध कर दिया की भारतीयता का मूल्यभाव और अपनत्व का आनंद महानगर में आज भी कहीं छुपा हुआ है आवयशकता है उन खोजी पत्रकारों की जो उस भाव को आधुनिकता के रंगों के साथ हर संभव माध्यम से समाज तक ले जाएँ ।
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