करवा चौथ का व्रत सभी सुहागिन स्त्रियों के लिए खास होता है। लगभग देश भर में महिलाएं पूरी श्रद्धा से यह व्रत करती हैं। इस साल कुछ विशेष प्रकार के शुभ संयोग बनने के कारण करवा चौथ का व्रत महत्वपूर्ण है, इसलिए महिलाएं सच्ची श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत कर रही हैं। इस व्रत में दिन भर निर्जला व्रत के साथ ही सुबह सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण करने का भी खास विधान है।
जाने करवा चौथ के बारे में
इस साल करवा चौथ 4 नवम्बर को पड़ रहा है। करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रोदय के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर सुहागिन औरतें व्रत रखें तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखमय व्यतीत होता है। ये व्रत सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाता है और चांद निकलने तक रखा जाता है।
इस बार का करवा चौथ है खास
हमारे देश में सुहागिन स्त्रियां अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं। अपने पति की लम्बी उम्र की कामना से व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए इस बार का करवा चौथ बहुत खास है। इस बार एक तरफ करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है तो दूसरी तरफ शिवयोग, बुधादित्य योग, सप्तकीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग भी बन रहा है। ऐसे में पति की लम्बी आयु तथा सौभाग्य हेतु करवा चौथ का व्रत रखें और विधिपूर्वक अर्चना करें।
ऐसे करें करवा चौथ की पूजा
करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठने का खास महत्व है। इसलिए प्रातः उठ जाएं और सरगी में मिला हुआ भोजन करें और खूब पानी पीएं। इसके बाद भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत रहने का संकल्प लें। करवा चौथ के दिन स्त्रियां पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं फिर शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं। पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे भी रख दें। एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीया जलाएं। चांद निकलने के एक घंटे पहले पूजा शुरु कर देनी चाहिए। इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं। पूजा करते समय करवा चौथ की कथा जरूर सुनें या सुनाएं। चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद पानी पीकर व्रत तोड़े। इस दिन बहुएं अपनी सास को थाली में मिठाई, फल, मेवे और रुपये आदि देकर उनसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
करवा चौथ से जुड़ी कथा
प्राचीन काल में एक नगर एक साहूकार रहता था। साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी, उसकी बेटी और सातों बहुओं ने करवा चौथ का व्रत रखा। शाम को साहूकार और उसके बेटे को खाना खाने आएं। उनसे अपनी बहन को भूखा नहीं देखा जा रहा था। उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने को कहा लेकिन उसने मना कर दिया और बोली कि मैं चंद्रमा देखकर अघर्य देकर ही खाना खाऊंगी। उसके बाद सातों भाई नगर से बाहर निकल गए और दूर आग जला दी। जिससे साहूकार की बेटी को लगा कि चांद निकल गया और उसने अपना व्रत तोड़ दिया। इसके बाद उसका पति बहुत बीमार हो गया और घर का सारा धन बीमारी में खर्च हो गया। तब साहूकार की बेटी को अपनी गलती पता चली और उसने गणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जिससे उसका पति ठीक हो गया और घर धन-धान्य से भर गया।
सरगी में खाएं ये चीजें
करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियां सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं। यह सरगी सामान्य तौर पर घर की बुजुर्ग स्त्रियां देती हैं। सरगी में आप ऐसे चीजें खाएं जो आपको दिन भर ऊर्जा से भरपूर रखें और कमजोरी न महसूस हो। इसके लिए आप सरगी में फल, ड्राई फ्रूट्स और दूध से बनी चीजें खा सकती हैं। साथ ही ऐसी चीजें खाएं जो पचने में आसान हो ताकि आपको दिन में भारीपन न महसूस हो। इसके अलावा दिन भर प्यास न लगें इसके लिए सरगी में दही, रसेदार फल खाएं तथा मसालेदार भोजन से परहेज करें।