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अनंत चतुर्दशी व्रत से दूर होते हैं कष्ट, पूरी होती है सभी इच्छाएं

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान के अनंत रूप की आराधना होती है, इसे अंनत व्रत भी कहा जाता है। यह पूजा सरल तथा शुभ होती है और इसे करने से व्यक्ति को तीनों तापों से मुक्ति मिलती है।

जानें अनंत चतुर्दशी के बारे में

हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का बहुत महत्व है। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की आराधना होती है। भादो महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चततुर्दशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र बांधने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन धार्मिक झांकियां निकालने का भी प्रचलन है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के साथ ही यमुना नदी और शेषनाग जी की भी पूजा होती है। इस साल यह व्रत 1 सितम्बर को पड़ रहा है।

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#गांधी-परिवार मुक्त होते ही कई टुकड़ों में बिखर जाएगी #कांग्रेस

कमजोर की समस्याओं का कोई अंत नहीं होता! उसे हर कोई सलाह देने आ जाता है। कांग्रेस का हाल भी इन दिनों ऐसा ही है। दूबरे और दो असाढ़! कमजोर और फिर कन्फ्यूज्ड! राम गुहा ने इतिहास के माध्यम से उपदेशों की बारीश की थी तो कांग्रेस के 23 नेताओं ने लेटर वारियर्स बन कर मोर्चा खोल दिया।

राम गुहा वही समकालीन इतिहासकार हैं जो नीतीश कुमार का राजनीतिक इतिहास पढ़ने में पूरी तरह नाकामयाब साबित हुए थे और जिन्होंने नीतीश को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की महान सलाह दी थी। और नीतीश वे हैं जिन्होंने 2015 में लालू यादव और कांग्रेस के चक्कर पर चक्कर काटकर खुद को महागठबंघन में शामिल करवाया था। और फिर मुख्यमंत्री बनकर भाजपा के साथ चले गए।

वही नीतीश जिनकी संवेदना तब नहीं जागी जब उनके राज्य के लाखों मजदूरों को सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। मगर एक आत्महत्या के मामले में उन्हें इतनी चिन्ता हुई कि उन्होंने अपनी पुलिस मुंबई पहुंचा दी। मामले के सीबीआई जांच करवा ली। मगर तब कभी कुछ नहीं किया जब मुंबई में बिहारी मजदूर पीटा जाता था। उसका रोज अपमान होता था। तो उन नीतीश को गुहा साब कांग्रेस अध्यक्ष बना रहे थे। नान मेम्बर पार्टी प्रेसिडेंट। क्योंकि नीतीश तो कांग्रेस में थे नहीं। मगर फिर भी उन पर ऐसा लाड़ उमड़ा कि उन्हें गोद लेकर मालिक घोषित करने की सलाह दे डाली।

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#मीडिया को भस्मासुर बनाने में #कांग्रेस भी कम दोषी नहीं

अभी कुछ दिन पहले ही लिखा था कि पत्रकारिता बहुत खराब हालत में है। मगर यह नहीं मालूम था कि ये टीवी चैनल किसी की जान भी ले लेंगे। यह टीवी लिंचिंग

है! न्यूज चैनलों की जहरीली डिबेट ने कांग्रेस के जुझारू नेता और प्रवक्ता राजीव त्यागी की जान ले ली। इन चैनलों को किस बात के लिए लाइसेंस मिला था? पत्रकारिता के लिए या नफरत, विभाजन, झूठ की भड़काऊ डिबेटों में फंसाकर लोगों का मारने के लिए?

अभी जिस चैनल पर जयचंद जयचंद सुनकर अपमान की आग में उद्वेलित होते हुए राजीव त्यागी को हार्ट अटैक आया उस चैनल के एडिटर कुछ समय पहले ही अपनी ही एक भड़काऊ एंकर को इटंरव्यू देते हुए कह रहे थे कि हमें कोई पत्रकारिता नहीं सिखाए! सही कहा! जिन्होंने सबसे पहले बलात्कार का नाट्य रूपांतरण दिखाया हो उन्हें पत्रकारिता कौन सिखा सकता है? बलात्कार टीवी के परदे पर दिखाया जा रहा है? ये पत्रकारिता है?

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#कोरोना, कमरदर्द, अशांत चित, हिन्दी लेखन और राजनैतिक विश्लेषण

कमर दर्द एक ऐसी परेशानी है जिसके चलते शरीर केवल आराम की अवस्था में ही रहना चाहता है। अब ये हुआ है तो एक आध हफ़्ते तो कष्ट में निकलना ही पड़ेगा। पर पड़े और लेटे रहने में भी दिमाग़ तो आराम करता ही नहीं है और कुछ ना कुछ दिमाग़ी कसरत करता रहता है। इधर कुछ दिनो से फ़ोन के हिंदी फोंट पर लिखने की क़वायद सा करता हूँ क्योंकि सोचता हूँ कि शायद अंग्रेज़ी सीखने की ज़हमत में हम लोग जो सरकारी हिंदी मीडीयम से ही पढ़े, उसके बावजूद हिंदी से काफ़ी दूरी हो गए। अब तो हिंदी में लिखना बिलकुल दूभर सा लगता है।

पर इसके बावजूद कोशिश में क्या जाता है और जब हमारे भा० प्र० से० के लंगोटिया, हमारे केओसुब के रूममेट, हमें झाड़ पर चढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। कोई नहीं, कम से कम इसी बहाने आज के लाक्डाउन के जमाने में कुछ पुरानी यादों को हिंदी में ताज़ा तो किया जा सकता है। वो पुराने दिन, जब हमलोगो के पढ़ने के लिए हिंदी ही एक माध्यम था। वो हिंदी पत्रिकाओं और बाल पॉकेट बुक्स से हिंदी की कुछ गम्भीर साहित्यों की दुनिया, जो आज के बोल चाल की अंग्रेज़ी की दुनिया से काफ़ी अलग थी। ज़िन्दगी के ५५ साल के बाद भी आज भी अपनी सोच तो हिंदी में ही आती है और हम उसे अंग्रेज़ी में ट्रैन्स्लेट कर लोगों से बात करते हैं। अब ट्रैन्स्लेशन में भी कमजोर ही है। तो हिंदी में ही कर के देखूँ क्या ??

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कान्हा के बाल रूप की पूजा से घर में आएगी समृद्धि

आज जन्माष्टमी है, इस दिन लोग श्रीकृष्ण की पूजा कर आर्शीवाद पाना चाहते हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान सभी परेशान हैं, ऐसे में उपवास और श्रीकृष्ण की आराधना आपको न केवल मानसिक शांति देगा, बल्कि घर की सुख-शांति के लिए फायदेमंद होगा।

हमारे हिन्दू मान्यताओं में भगवान श्री कृष्ण ने न केवल संस्कृति, संगीत और शिल्पकला को प्रभावित किया बल्कि मित्रता, निस्वार्थ प्रेम ,बुद्धि,शक्ति और आत्म विश्वास पा सकता है। इस तरह श्री कृष्ण की पूजा से सुख, शांति, आरोग्य एवं लाभ की प्राप्ति होती है।