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मदनलाल खुराना जी का ट्राम का सपना दिल्ली के मेट्रो रेल के रूप में साकार हुआ

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ऐसे ही नहीं 'दिल्ली का शेर' नाम से जानते जाते थे।वो दिल्ली की जनता की सेवा करने के लिए नित प्रयोग करते रहते थे और उस कार्य को करने में जो भी बाधायें आती थीं उनका डटकर मुकबला करते और कार्य को पूरा करके ही मानते थे।इसलिए वो दिल्ली की जनता की नजरों में 'शेरदिल' थे। खुराना जी एक दूरदर्शी नेता थे उनके कुशल नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में 1993 से 1996 तक सरकार चलायी।

आज उनके जन्म दिवस पर उनकी स्मृतियाँ मेरे दिल में हैं। खुराना जी के व्यक्तित्व और उनकी राजनीतिक कुशलता मुझे ऊर्जा देती थी।उन्ही के दिखाए हुए मार्ग में चल कर मैं इतने वर्षों से जनता कि सेवा कर रहा हूँ।मदनलाल खुराना उस समय दिल्ली के युवाओं के लिए एक आइकॉन थे। 

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अधिक मास में पूजा-अर्चना से होती है पुण्य की प्राप्ति

अधिक मास प्रारम्भ हो चुका है। हर तीन साल पर आने वाले अधिक मास में वैसे तो किसी प्रकार के शुभ कर्म नहीं किए जाते हैं लेकिन धार्मिक कार्य करने से पुण्य जरूर मिलता है। कोरोना संक्रमण के दौरान अधिकमास में मन को शांत रखने के लिए घर में आराधना कर ईश्वर को प्रसन्न करें

अधिक मास के विषय में जानकारी 

हिंदू धर्म में अधिक मास का विशेष महत्व है। अधिक मास को मलमास तथा पुरुषोत्तममास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आश्विन मास में अधिकमास पड़ रहा है। इस बात का खास अर्थ है इस साल दो प्रकार के आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में हिन्दुओं के कई प्रकार के त्यौहार मनाएं जाते हैं। लेकिन इस साल अधिकमास में कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। 

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सुबह अपने लिए निकालें समय, बढ़ेगा आत्मविश्वास और खुश होगा परिवार

अगर आप मां हैं तो आपकी सुबह बहुत खास होती है, सवेरे की भागमभाग में घर के काम निपटाना थोड़ा मुश्किल होता है, थकान और काम का बोझ आपको परेशान तो करता ही है इससे आपका परिवार भी प्रभावित होता है। इसलिए सुबह खुद को कुछ नियमों में बांधें ताकि आप इन मुश्किलों से छुटकारा पा सकें। 

बतौर मां, आपके अंदर असीम इच्छा शक्ति और सम्भावनाएं हैं। लम्बी उम्र, सेहतमंद जीवन और तरक्की के लिए आवश्यक है अच्छी लाइफ स्टाइल जिसकी शुरूआत के लिए सुबह का समय बेहतर होता है।  इसलिए अपनी योजनाओं को फलीभूत करने के लिए सुबह का एक रूटीन जरूर बनाएं। इसके लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करें, सूची बनाएं, जीवन साथी से चर्चा करें और ईश्वर से प्रार्थना करें। 

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देखो मेरा दिल मचल गया

हिंदी दिवस हो और मेरा दिल कुछ लिखने को न मचले,  ऐसा कतई संभव है क्या? मैं एक हिंदी भाषी प्रदेश से ताल्लुक रखती हूं। ब्याह भी मेरा ठेठ हिंदी भाषी प्रदेश में ही हुआ है। लिहाजा हिंदी से मेरी अनवरत संगत बनी हुई है।

पढ़ाई के वक़्त, मुझे हिंदी में ऑनर्स  लेने की इच्छा थी,लेकिन हिंदी में मार्क्स इतने कम आते थे की लोगों की सलाह पर मैंने संस्कृत ले ली, जो हिंदी समेत कई और भाषाओं की जननी कही जाती है। कहने की जरूरत नहीं कि, संस्कृत किसी कठोर मां की तरह ही सख्त थी। 

यहां एक बात स्पष्ट करना जरूरी है की हिंदी को पीछे धकेलने में, इसके पुरोधा ही मुख्य रूप से जिम्मेदार रहें हैं, न वो विद्यार्थियों को कम नंबर देकर हतोत्साहित करते, न होनहार बच्चे बिदक कर अन्य भाषाओं का रुख करते। 

मेरी हिंदी मंजी हुई थी, इसका बराबर उपयोग कविता, कहानियों में, मैं करती रहती थी, लेकिन ये अफसोस हमेशा बना रहा की हिंदी को वैसा मंच कभी नहीं मिला, जिसकी वो वास्तव में हकदार थी।

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पितृपक्ष में इन कामों से पितृ होंगे प्रसन्न, होगी आपकी उन्नति

पितृपक्ष शुरू हो गया है, इस दौरान पितृ धरती पर आते हैं। ऐसे में विधिपूर्वक श्राद्ध करने से न केवल पितृ प्रसन्न होंगे बल्कि आपको आर्शीवाद भी देंगे। पितरों का आर्शीवाद आपको और आपके आने वाली पीढ़ियों को सुखी रखेगा।

हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व होता है, ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध में की गयी गलतियों से पितृ नाराज होकर चले जाते हैं और कभी वापस नहीं आते हैं। ऐसे में कुछ नियमों का पालन जरूरी है।