मुझे रिक्शे बचपन से ही बहुत भाते हैं। उसके कोई कारण हैं। पहला, आप कुछ ढंग से देख पाते हैं अगर कुछ देखना चाहें तो, दुसरा, अगर आप सोचना चाहते हैं कुछ ख़ास विषय पे तो वो भी कर सकते हैं खुली हवा में सॉंस भरते हुए, और तीसरा कारण, आप सारे शहर की सोच भी पता कर सकते हैं रिक्शावाले से थोड़ी बातचीत करके। हमें महीं लगता है कि किसी और सवारी में सवार होकर आप कम समय में इतना फ़ायदा उठा सकते हैं। हाँ, एक बात सच है कि और सवारियाँ आपको अपकी झुठी मंज़िल पे मिनटों में अवश्य पहुँचा देंगीं। सोच के मैं बहुत दुखी होती हुँ कि ये सवारी अब विलुप्त होने के कगार पे जा चुकी है, छोटे-छोटे शहरों में भी।