बुलन्दशहर : यूपी के आगरा में स्थित ताजमहल दुनिया भर में प्रसिद्ध है जिसे शाहजहाँ ने अपनी बेगम की याद में बनवाया था और इसे प्यार की सबसे बड़ी निशानी समझा जाता है | यूपी के ही बुलन्दशहर जिले के केसर कला गाँव मे हु बहू ताजमहल का नमूना है जिसे फैजल हसन कादरी नामक एक रिटायर्ड पोस्ट मास्टर ने अपनी बेगम तज्जमुली के इन्तकाल के बाद सन 2012 में बनवाया था उनका निकाह 14 जून सन 1953 ई॰ मे उनके मामू की लड़की के साथ हुआ था |
कादरी जी ने बताया की जब इनकी शादी हुई थी तो इनकी बेगम को ठीक से खाना पकाना नही आता था तो कादरी जी ने ही इन्हें खाना पकाना सिखाया | लेकिन कुछ ही दिनों में वो इतना अच्छा खाना बनाने लगी कि कादरी जी उनके खाने के दीवाने हो गये और कादरी जी का यह भी कहना है कि इनकी बेगम पढ़ी लिखी नही थी वो कुरान तो पढ़ लेती थी लेकिन और कुछ नही पढ़
पाती थीं उन्हें पढना सिखाने के लिए इन्होने उनको छोटी छोटी उर्दू की किताबें और उपन्यास लाकर दिए इससे वो पढ़ना तो सीख गई लेकिन लिख नही पाती थी उन्होंने बताया की उन दोनों में बहुत प्रेम था जब वे फिल्म देखने जाते थे उस समय आमदनी कम थी तो वो तीसरी क्लास का टिकट लेते थे और उस समय सिनेमा होल भी बहुत कम थे तो वो दोनों सिनेमा देखने के लिए अलीगढ के तशवीर महल नामक सिनेमा हॉल में जाया करते थे उन्होंने बताया कि अन्य शादीशुदा जोड़ों के मुकाबले उनके झगड़े बहुत कम हुए कादरी जी के कोई सन्तान नही थी क्योकि फैजल हसन कादरी की पत्नी के गर्भाशय में टीयूमर था
जिसके कारण उनको अपनी पत्नी के गर्भाशय का ऑपरेशन करवाना पड़ा जिससे उनके संतान होने की संभावना ही खत्म हो गई एक दिन वे दोनों कमरे में बैठे हुए थे तभी अचानक कादरी की बेगम आँखों में आंसू लेते हुए उनसे बोली कि हमारे मरने के बाद हमे याद करने वाला या हमरे वंश को चलाने वाला कोई नही है | हम ऐसे ही इस दुनिया में आये है और ऐसे ही चले जायेंगे तभी कादरी जी ने कहा की यदि तेरा इन्तकाल मुझसे पहले हुआ तो मै अपने खेत में तुम्हारी कबर दफ़न करवाऊंगा और उसके ऊपर एक ऐसा मकबरा बनवाऊँगा
कि दुनिया याद करेगी कादरी ने बताया कि उनकी इस मोहब्बत की निशानी को बनाने में बहुत से लोग आगे आये लेकिन कादरी ने किसी से आर्थिक मदद नही ली उनका कहना था इसे बनाने के लिए मै अपनी मेहनत की कमाई लगाऊंगा इन्होने अपनी प्रोविडेंट फण्ड की सारी रासी लगा दी यहाँ तक कि अपनी पत्नी के गहने बेचने के बाद भी पेंशन की रासी को थोडा थोडा जोडकर इस इमारत का निर्माण कराया | यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने इन्हें सम्मानित भी किया है हालंकि अभी तक यह पूर्ण रूप से नही बन पाया है उन्होंने बताया की इसके निर्माण के लिए इन्होने अपने गाँव के ही कारीगरों की सहायता ली इसके लिए वो कारीगरों को कई बार आगरा घुमा कर भी लाए और उन्होंने इसका नक्शा खुद ही बनाया था |
कादरी जी ने अपने ताजमहल की मजबूती के बारे में बताया है कि इसकी बुनियाद 10 फिट गहरी और 27 इंच चौड़ी कंकरीट की बनी हुई है और ज्यादातर दीवारे भी इसकी कंकरीट की ही बनी हुई है कादरी जी ने अपने ताजमहल में दो कबर बनवाई है जिनमे से एक में उनकी बेग़म दफ़न है और एक खाली है
उनकी फरयाद है कि उनका इंतकाल हो जाने के बाद उनको भी उनकी बेग़म के पास वाली कबर में ही दफ़न किया जाय | ऐसा नही कि कादरी जी को दूसरी शादी करने के लिए दबाब नही डाला गया जिस समय कादरी जी की पत्नी टीयूमर की सिकार हुई तब उनकी बहनों ने उनपर बहुत दबाब डाला कि वो दूसरी शादी कर लें| लेकिन इन्होने दूसरा निकाह कुबूल नही किय| कादरी जी ने बहुत ही दुखी मन से कहा कि मुझे सिर्फ इस बात का अफ़सोस है कि जब मेरी बेग़म को गले का केंसर हुआ तो वह बोल नही पाती थी वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी और मै उसके अंतिम शब्द भी नही सुन पाया
!!मेरे या खुदा ,मेरे राह पर, मेरे रहनुमा मेरे हमसफ़र !! !! रग जा से है तू अजीज तक तू कहाँ गया मुझे छोड कर मेरे शिश ए दिल को तोड़ कर !! . !! तू कहाँ गया मुझे छोडकर !!