हिन्दू धर्म में श्रावण माह का बहुत महत्व है इस महीने में बहुत लोग कांवड़ गंगा जल से भरकर मीलो दूर पद यात्रा करते है शुरुआती दिनों में संतों ने पवित्र कांवड़ यात्रा की थी, जिसे बाद में वृद्ध और युवा लोगों से जोड़ा गया, जो हर साल कांवड़ यात्रा किया करते थे लेकिन अब दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब , बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश आदि से सैकड़ों और हजारों युवा, वृद्ध ,महिला और बच्चों ने भी यात्रा में कांवड़ भाग लेना शुरू कर दिया है और भी कई ऐसे भी त्योहार है जो सावन माह को महत्वपूर्ण बनाते है जेसै हरियाली तीज ,सोमवार व्रत पूजन, आदि सावन माह मे सोमबार व्रत का बहुत महत्व है इसे करने से सभी मनोकामना पुरी होती है। व तीज का त्योहर मुख्य रुप से स्त्रियो के लिये होता है। इसमे वे मेहंदी से अपने हाथो पर सुंदर आक्रति बनती है
1.हरियाली तीज
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनायी जाती है। इस उत्सव को हम मेंहदी रस्म भी कह सकते है क्योंकि इस दिन महिलाये अपने हाथों, कलाइयों और पैरों आदि पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेंहदी रचाती हैं। सावन में जब सम्पूर्ण प्रकृति हरी चादर से आच्छादित होती है वृक्ष की शाखाओं में झूले पड़ जाते हैं। तो समझो की तीज का पावन उत्शव आ गया है
पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में भी मनाते हैं। सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत काफी मायने रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों तरफ हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। इस मौके पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं।
2.सावन के सोमवार का व्रत
भगवान शिव की उपासना के लिए सोमवार सबसे पावन दिन माना गया है परन्तु सावन माह के सोमवार सबसे ज्यादा महत्व रखता है मान्यता है कि सावन के माह में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नासन करने और इसके बाद रोजाना शिवलिंग पर जल से अभि षेक करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते है और उनकी कृपा प्राप्त होती है और सावन (श्रावण) के महीने में भगवान शिव के इस सोमवार व्रत को करने से सभी मनो कामना पूरी होती है सावन के महीने में शिव भगत प्रत्येक सोमवार को केवल रात में ही भोजन करते है स्कंदपुराण के अनुसार इन दिनों मे एक समय भोजन करने से भगवान शिव अपने भगतो से बहुत प्रसन्न होते है और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते है और यह भी मन गया है की कुंवारी लड़कियों के इस सोमबार में व्रत रखने से उनको मन चाहा बर मिलता है
3.कांवड यात्रा
सावन के महीने में करने के पीछे की मान्यता है कि इस महीने में देवताओ और असुर के द्वारा समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था, उस विष से दुनिया को बचाने के लिए भगवान शिव ने इस विष का सेवन किया था विष का सेवन करने के कारण भगवान शिव का शरीर ज्वालामुखी की तरह जलने लगा। भगवान शिव के शरीर की ज्वाला को शांत करने के लिए देवताओं ने उन पर जल प्रवहित करना शुरू कर दिया। जल अर्पित करने के कारण भगवान शिव का शारीर शीतल होने लगा। इस विष के सेवन करने से भगवान शिव का कंठ नीला हो गया। और इस कारण भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है
उसके बाद से ही सावन के महीने में भगवान शिव जी पर जल चढाने के लिए लाखो की तादात में कांवडिये मीलो दूर पद यात्रा करते है और शिवलिंग पर जल चढाते है कांवड़ के बारे में कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने कांवड़ से गंगा का पवित्र जल भगवान शिवजी पर चढ़ाया था। तभी से भगवान शिवजी पर सावन के महीने में जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।