खुली हवा, शांत आसमान किसे नहीं भाता लेकिन मानव गतिविधियों ने पर्यावरण में जहर घोल कर इसे असंतुलित कर दिया है। पर्यावरण अंसतुलन के बहुत से नुकसान हैं।
आखिर क्या है यह पर्यावरण असंतुलन?
हमें प्रकृति ने जीवन के लिए पर्याप्त वस्तु एवं साधन प्रदान किए हैं चाहे वे हवा, पानी, आग, धरा एवं आकाश जैसे पंचतत्व हो या फिर रहन-सहन के लिए रोटी, कपड़ा और मकान। प्रकृति में इस धरती की हर एक प्रजाति का संपूर्ण भार उठाने की क्षमता है परंतु मनुष्य की स्वार्थी कार्ययोजनाओं के कारण प्रकृति अब यह क्षमता धीरे-धीरे खो रही है। प्रकृति में आए इसी असंतुलन को पर्यावरण असंतुलन कहते हैं।