#मदर्सडे पर खास: मां इस लॉकडाउन में खुद को न होने दें डाउन, रखें अपना ख्याल ताकि आपकी दुनिया रहें खुशहाल

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कोरोना संकट के कारण देश में लॉकडाउन है। लॉकडाउन में बहुत सी मदर्स वर्क फ्राम होम कर रही हैं। ऑफिस का काम घर से करना माताओं के लिए चुनौती भरा होता है, तो आइए इस मदर्स डे पर वर्किंग महिलाओं की उन मुश्किलों पर चर्चा करते हैं जिनका वह रोज सामना कर रही हैं।

मां से ही बनता है परिवार

वैसे तो परिवार रूपी गाड़ी में स्त्री और पुरुष दो पहिए होते हैं। लेकिन अगर आप जरा गौर करें तो पाएंगे कि मां के बिना परिवार कुछ अधूरा सा लगता है। चाहे वह कम्प्लीट फैमली का कांस्पेट हो या सबकी पसंदीदा डिश बनाना, हर काम को वह बखूबी निभाती है। इक्कसवीं सदी में शिक्षा के बढ़ते स्तर ने बेशक माताओं की जिम्मेदारियों को बढ़ा दिया है, लेकिन अपने ऊपर आए इन दायित्वों को वह बखूबी निभा रही हैं। एक साथ बहुत से कामों को निपटाने वाली मां तभी तो सबकी फेवरेट होती है। 

लॉकडाउन में महिलाओं के सामने आने वाली मुश्किलें

लॉकडाउन में कामकाजी महिलाओं के साथ घर से काम करने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिनके बच्चे छोटे हैं,  उन्हें न केवल क्वालिटी वर्क करने में परेशानी है बल्कि उनके काम के घंटे भी प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही लॉकडाउन के दौरान स्कूलों द्वारा बच्चों की होने वाली ऑनलाइन क्लासेज मदर्स के लिए न केवल मुश्किल खड़ी करती हैं बल्कि समय से ऑफिस वर्क पूरा करने में भी बाधा पैदा करती हैं। यही नहीं बच्चों के घर से बाहर नहीं निकल पाने से नौनिहालों में चिड़िचिड़ा भी देखने को मिलता है जिसे वे दूर करने के लिए टीवी या फोन का सहारा लेते हैं। बच्चों द्वारा टीवी या फोन पर अधिक समय बीताना भी मांओं को परेशान करता है। इससे नन्हें-मुन्नों की मेंटल हेल्थ पर फर्क पड़ता है। कोरोना  संकट के दौरान खुद और अपनी फैमिली को वायरस से बचाने के लिए हाइजिन और अनुशासन बनाए रखना भी माताओं के लिए बड़ी चुनौती है। इसके अलावा मदर्स छोटे बच्चों की मनमानी डिमांड और टीनएजर्स की मूड स्विंग होने की समस्या से भी दो-चार हो रही हैं। 

अपने को न करें नजरअंदाज

कोरोना संकट के दौरान मांओं के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। इन मुश्किलों का सामना करने के लिए सबसे ज्यादा कुछ जरूरी है तो वह है आपकी अपनी सेहत। इसलिए इस मदर्स डे आप अपने मातृत्व पर गर्व करने के साथ ही अपने हेल्थ का भी ख्याल रखें। इसके लिए अपने शरीर की भाषा समझे, बॉडी द्वारा दी गयी किसी भी चेतावनी को वक्त रहते पहचानें। आवश्यकता हो तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं, देर करना समझदारी नहीं होगी। इसके अलावा मदर्स के सामने एक बड़ी मुश्किल है अपना वजन कंट्रोल करना। बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए रोज एक्सरसाइज करें। अपने दिन की शुरूआत सुबह की 30 मिनट मार्निंग वॉक से करें। इसके बाद प्राणायाम और आसान करना भी आपके लिए बेहद फायदेमंद होता है। साथ ही अक्सर घर में लगने वाली छोटी चोटों को लेकर गम्भीर रहें। कामकाज के दौरान हमेशा सही पॉश्चर का ख्याल रखें। अक्सर पेनकिलर्स खाने से बचें क्योंकि इसके नतीजे हानिकारक हो सकते हैं। 

सेल्फ केयर है जरूरी 

वर्किंग मदर हो या स्टे होम मॉम, सबकी समस्याएं लगभग एक जैसी ही होती हैं। इसलिए माएं हमेशा सेल्फ केयर पर ध्यान दें। सेल्फ केयर में खुद को केवल पर्सनल केयर तक सीमित नहीं रखें। बल्कि प्रोफेशनल, इमोशनल, मेंटल, और फिजिकल लेवल पर भी अपना ध्यान रखें। कुछ हालातों में वर्किंग मदर की मुश्किलें कुछ ज्यादा बढ़ जाती हैं ऐसे में घबराएं नहीं, धैर्य रखें वक्त के साथ परेशानियां खुद खत्म हो जाती हैं। 

 वर्किंग मदर के पास बच्चों के साथ वक्त बीताने का समय कम होता है इसलिए वह अक्सर अपराध बोध से ग्रसित हो जाती हैं। इस तरह की गिलिटी फीलिंग की भावना को गली-मुहल्ले के लोग भी बढ़ा देते हैं। इसलिए ऐसी बातों से खुद को बचाएं। इस तरह की गॉशिप न केवल आपकी कार्य क्षमता को प्रभावित करेंगी बल्कि आपके अंदर निगेटिविटी को भी जन्म देगी। अपने और अपनी हॉबिज के लिए समय निकालें। काम के बीच रूक कर सोचें आपको क्या पसंद है, थोड़ी दर उस काम करें, आप रिलैक्स फील करेंगी। परिवार में होने वाली गैरजरूरी बातों को हमेशा इग्नोर करें। घर या बाहर किसी भी तरह के काम में हमेशा इंटरेस्ट लें।

एक मां के लिए बच्चा बहुत जरूरी होता है, लेकिन बच्चें के हर काम को खुद करने की कोशिश कभी न करें। इससे आपके ऊपर काम का अनावश्यक बोझ बढ़ जाएगा। बच्चों से जुड़े काम के लिए अपने हस्बैंड की मदद लें। छोटे-छोटे कामों में पति की सहायता से न केवल आप आराम महसूस करेंगी बल्कि बच्चा भी इंजाय करेगा। अगर सम्भव हो तो मेड रखें बच्चों के जरूरत से जुड़ी सभी बातें उसे समझाए ताकि जरूरत पड़ने पर ध्यान रख सके।

 

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