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How important is it to take care of your teeth in this COVID pandemic

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The oral cavity is a potential reservoir for respiratory pathogens which can predispose patients to bacterial super-infection. So far, it is already established that poor oral health can have an impact on the heart, may worsen blood sugar levels, may lead to premature births or IVF failures, be associated with arthritis, kidney diseases, respiratory diseases, and or neuro-degenerative disorders like Alzheimer’s. Since the invention of this disastrous pandemic– The COVID-19, there is growing research evidence that 

"people with poor oral health or gum disease are 3.5 to 4.5 times more likely to present with severe symptoms or may develop complications if they are infected by coronavirus." 

Written by Dr Anmol Agarwal & Dr Payal Agarwal
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मन को हारने न दें, आत्मविश्वास बनाएं रखें

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महामारी और लॉकडाउन ने लोगों में आत्मविश्वास कम कर दिया है। लोग काम और अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों के लिए आत्म-प्रेरणा खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वे अकेले रह रहे हों या दोस्तों और परिवार के साथ संपर्क खो चुके हों, या नौकरी से निकाल दिया गया हो, इस महामारी ने लोगों का नजरिया बदल दिया है। आत्म-सम्मान बढ़ाने और खुद को पटरी पर लाने के लिए अपने लिए वे काम करें जो आपको उत्साह से भर दे। अपने पसंदीदा काम करें जो आपको विश्वास और आशा से भर दे।

 योगासन गैर-प्रतिस्पर्धी, शारीरिक व्यायाम का अभ्यास है जिसमें नियंत्रित श्वास (प्राणायाम) और ध्यान तकनीकों के साथ संयुक्त मुद्राएं (संस्कृत, आसन में) शामिल हैं। अपने आत्मविश्वास के स्तर को अच्छा बढ़ावा देने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक योग है।  नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से आपका शरीर मजबूत और दिमाग कुशाग्र होता है।  यह तनाव को दूर करने और सशक्तिकरण की भावना पैदा करने का सही तरीका है । ये योग आसन हैं जिनका अभ्यास आपको अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए करना चाहिए, बालासन, अधो मुख संवासन, अंजनेयासन या लो लंज, वीरभद्रासन, सिंहासन और शवासन।

Written by किसलय कुमार भारद्वाज
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बरसात के मौसम में रखे सेहत का ख़्याल

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बरसात का सुहाना मौसम लाता है ढेरों खुशियां, मगर कहीं उन खुशियों को नज़र न लग जाए इसलिए मौसम में  बदलाव के साथ खान-पान में करें परहेज।

बरसात का मौसम यूं तो सुहानी बूंदें लाता है जो की इंसान के मन को खुशहाली से भर देता है मगर साथ ही यह बदलता हुआ मौसम ला सकता है विभिन्न बीमारियां, संक्रमण, मौसमी सर्दी और फ्लू। इस मौसम में अक्सर यह भी देखा जाता है की जगह-जगह पानी भर जाने से बहुत से लोग मलेरिया, डेंगू, एलर्जी एवं स्किन संबंधी बीमारियों से भी पीड़ित हो जाते है। 

इसलिए, इस वर्षा ऋतु का पूरा आनंद लेने के लिए हमें हमारे खान-पान से लेकर रहन-सहन तक का खास ख्याल रखना चाहिए। इस मौसम में ज़रूरी है कि हम अपने और अपने आस पास साफ-सफाई रखे तथा अपने आहार का भी विशेष रूप से ख्याल रखें। जैसी की खाली गमले, खाली टायर, कूलर इत्यादि में पानी बिल्कुल न जमा होने दे। ऐसा करने से आप खुदको मच्छरों के आतंक से बचा सकते है। 

Written by प्रकृति वासदेव
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ओवरईटिंग से हो सकती है सेहत खराब

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लजीज खाने की चाहत हर किसी को दीवाना बना देती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा खाने की आदत आपके लिए परेशानी पैदा कर देती है और आप कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इस तरह की आदत को ओवरइटिंग में शामिल किया जाता है। 

हर रोज स्वाद-स्वाद में एक अधिक चपाती खा लेना ,हर रोज ही खाने की मात्रा पर नियंत्रण ना रहना ,गलत समय पर गलत आहार लेना ,पोषण युक्त संतुलित भोजन  का अभाव ,इन सभी भूल एवं कमियों का असर बढ़ते वज़न  एवं बिगड़ती जीवन शैली के रूप में दिखना देता है।

पाचन क्षमता से ज्यादा मात्रा में खा लेना ओवरईटिंग कहा जाता है। स्वादिष्ट भोजन मिलने पर ओवरईटिंग  हो जाना बहुत आम सी बात है ,परंतु अगर यह रोज  की ही जीवनशैली में साधारण प्रतीत होने लगे तो निश्चय ही इस पर चिंता व्यक्त करने की आवश्यकता है । कभी-कभी ओवरईटिंग का प्रभाव खाने के तुरंत बाद ही महसूस होने लगता है, भारीपन, गैस बनना, पेट फूलना इत्यादि। ओवरइटिंग शरीर में अलग-अलग विकारों को पनपने का मौका देती है और ओबेसिटी  जैसी गंभीर समस्या का ओवरईटिंग भी एक कारण है। ओवर ईटिंग से लगाव आपको त्वचा रोग, मधुमेह ,हृदय रोग ,सुस्ती ,मोटापे आदि रोगों से पीड़ित लोगों की सूची का भी हिस्सा बना सकती है।

हमें खाने की मात्रा का बेहद ध्यान रखना चाहिए , चरम सीमाओं से परहेज करना चाहिए , ना तो बहुत कम खाना है ना तो बहुद ज्यादा ,अगर हम जरूरत से कम खाएंगे तो हमारे शरीर की मेटॉबॉलिज़्मिक प्रक्रिया  धीमी पड़ जाती हैं और हम मोटापा  की जगह अपनी मसल्स बर्न करने  लगते हैं  और दूसरा चरम  यह है कि जरूरत से ज्यादा खाने से मोटापे की ओर जाते हैं और हमारी जीवनशैली को भी नुकसान पहुंचता है। 

विशेषज्ञ की राय 

डॉ शालिनी श्रीवास्तव

सीनियर डायटिशियन

किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज

आजकल ओवरईटिंग की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह एक ऐसी समस्या है जो डिप्रेशन के कारण भी बढ़ जाती है। अवसाद के कारण ओवरईटिंग  होना सामान्य है और कुछ लोगों की विचारधारा प्रतिपूरक भोजन (कॉम्पेन्सेटरी ईटिंग) को बढ़ावा देती है, जिसमें हर परिस्थिति में ,चाहे वह दुःख की हो चाहे हर्ष की, उसकी कमी पूर्ति के लिए वह खाने का सहारा लेते हैं। ओवर ईटिंग के मरीजों के लिए एक मूल मंत्र है "कम तेल, कम नमक, कम चीनी, प्रण कर लीजिए ,आज से थोड़ा कम"। इस कहावत को अपनी ज़िन्दगी में शामिल करें और सेहतमंद बने रहें।

हर मनुष्य की शरीर रचना अलग है ,आयु वर्ग अलग है ,शारीरिक गतिविधियों का स्तर अलग है ,कोई सारा दिन ऑफिस में बैठकर काम करता है तो कोई शारीरिक श्रम करता है, इसलिए सबकी खाने की जरूरत अलग-अलग हैं। ओवर ईटिंग के शिकार लोग , जो ओबेसिटी से ग्रसित हैं ,उन्हें व्यक्तिगत आहार योजना को उपयोग में लाना चाहिए । आजकल ओवरइटिंग का कारण कोरोना संकट और अनियमित जीवन शैली के कारण शारीरिक गतिविधियां कम होना भी है। व्यायाम की भारी कमी,और ओवरईटिंग  का मसला गंभीर एवं चुनौतीपूर्ण है।

आजकल ऑनलाइन विविध प्रकार के व्यंजन बनाने का भी चलन जोरों पर हैं। यह शौक भी ओवरइटिंग की ओर बढ़ाता है। पिज़्ज़ा पर पिज़्ज़ा फ्री , हैप्पी आवर और ना जाने किन-किन डिस्काउंट एवं ऑफर्स का लालच देकर ग्राहक को आकर्षित किया जा रहा है , अब प्रचुर मात्रा में खाने से ओबेसिटी और अनेक बीमारियां होना लगभग तयशुदा है। कुछ रुपयों का तत्काल फायदा आंखों पर पट्टी बांध देता है, जिससे कि भविष्य में उनसे उत्पन्न होने वाली समस्याएं दिख नहीं पाती और बाद में जेब और सेहत दोनों को हल्का कर देतीं हैं।  हमें  जागरूक ग्राहक बनने की आवश्यकता है ,जिसको यह ज्ञान हो कि क्या चीज उसकी जरूरत की है और किस चीज से दूरी बनाना बेहतर है। ओवरइटिंग की समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि एक अधिकृत एवं विश्वसनीय आहार विशेषज्ञ की सलाह लें ।आहार विशेषज्ञ आपकी समस्या को बेहतर समझ सकता है ।

खाने की मात्रा एवं समय को लेकर भी जागरूक होने की आवश्यकता है। एक सामान्य नियम जो हर व्यक्ति ओवरईटिंग  की समस्या से उबरने एवं बचने के लिए अपना सकता है ,वह है अपनी दिनचर्या में संतुलित भोजन (बैलेंस डाइट) की नियुक्ति करना। 

 
Written by हर्शुल गर्ग
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#वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियाँ हैं पर ध्यान न दे

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Patna:  सुदूर ग्रामीण इलाकों में लोग वैक्सीन/कोरोना के टीके लगवाने से परहेज़ कर रहे हैं। कुछ भ्रमित और कपटी लोगों ने जानबूझकर या फिर अज्ञानतावश आम जनता में वैक्सीन को लेकर एक निराधार भय और संशय का भाव जड़ दिया है। यह बिल्कुल समाज और राष्ट्र विरोधी है।

वैक्सीन पूर्णतः सुरक्षित है। इससे डरने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं। जब तक पूरा देश टीके नहीं लेगा , यह महामारी नहीं ख़त्म होगी। तीसरा वेभ, चौथा वेभ ......., आते रहेंगे, लोग मरते रहेंगे।

कई चिकित्सकों की मौत वैक्सीन लेने के बाद भी हुई। लेकिन उनमें से कईयों ने सिर्फ़ एक डोज़ ही लिए थे, तो कई ऐसे लोगों में वैक्सीन लेने के बाद भी ऐंटीबाडी अच्छी मात्रा में विभिन्न कारणों से नहीं बन सकी। कुछ चिकित्सक जो मरीज़ देखने के क्रम में संक्रमित हुए और दुर्भाग्यवश वीरगति को प्राप्त हुए, उन्होंने कुछ मेडिकल कारणों से टीका नहीं लिया था ।

Written by Dr Nishant Ranjan
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