लजीज खाने की चाहत हर किसी को दीवाना बना देती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा खाने की आदत आपके लिए परेशानी पैदा कर देती है और आप कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इस तरह की आदत को ओवरइटिंग में शामिल किया जाता है।
हर रोज स्वाद-स्वाद में एक अधिक चपाती खा लेना ,हर रोज ही खाने की मात्रा पर नियंत्रण ना रहना ,गलत समय पर गलत आहार लेना ,पोषण युक्त संतुलित भोजन का अभाव ,इन सभी भूल एवं कमियों का असर बढ़ते वज़न एवं बिगड़ती जीवन शैली के रूप में दिखना देता है।
पाचन क्षमता से ज्यादा मात्रा में खा लेना ओवरईटिंग कहा जाता है। स्वादिष्ट भोजन मिलने पर ओवरईटिंग हो जाना बहुत आम सी बात है ,परंतु अगर यह रोज की ही जीवनशैली में साधारण प्रतीत होने लगे तो निश्चय ही इस पर चिंता व्यक्त करने की आवश्यकता है । कभी-कभी ओवरईटिंग का प्रभाव खाने के तुरंत बाद ही महसूस होने लगता है, भारीपन, गैस बनना, पेट फूलना इत्यादि। ओवरइटिंग शरीर में अलग-अलग विकारों को पनपने का मौका देती है और ओबेसिटी जैसी गंभीर समस्या का ओवरईटिंग भी एक कारण है। ओवर ईटिंग से लगाव आपको त्वचा रोग, मधुमेह ,हृदय रोग ,सुस्ती ,मोटापे आदि रोगों से पीड़ित लोगों की सूची का भी हिस्सा बना सकती है।
हमें खाने की मात्रा का बेहद ध्यान रखना चाहिए , चरम सीमाओं से परहेज करना चाहिए , ना तो बहुत कम खाना है ना तो बहुद ज्यादा ,अगर हम जरूरत से कम खाएंगे तो हमारे शरीर की मेटॉबॉलिज़्मिक प्रक्रिया धीमी पड़ जाती हैं और हम मोटापा की जगह अपनी मसल्स बर्न करने लगते हैं और दूसरा चरम यह है कि जरूरत से ज्यादा खाने से मोटापे की ओर जाते हैं और हमारी जीवनशैली को भी नुकसान पहुंचता है।
विशेषज्ञ की राय
डॉ शालिनी श्रीवास्तव
सीनियर डायटिशियन
किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज
आजकल ओवरईटिंग की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह एक ऐसी समस्या है जो डिप्रेशन के कारण भी बढ़ जाती है। अवसाद के कारण ओवरईटिंग होना सामान्य है और कुछ लोगों की विचारधारा प्रतिपूरक भोजन (कॉम्पेन्सेटरी ईटिंग) को बढ़ावा देती है, जिसमें हर परिस्थिति में ,चाहे वह दुःख की हो चाहे हर्ष की, उसकी कमी पूर्ति के लिए वह खाने का सहारा लेते हैं। ओवर ईटिंग के मरीजों के लिए एक मूल मंत्र है "कम तेल, कम नमक, कम चीनी, प्रण कर लीजिए ,आज से थोड़ा कम"। इस कहावत को अपनी ज़िन्दगी में शामिल करें और सेहतमंद बने रहें।
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हर मनुष्य की शरीर रचना अलग है ,आयु वर्ग अलग है ,शारीरिक गतिविधियों का स्तर अलग है ,कोई सारा दिन ऑफिस में बैठकर काम करता है तो कोई शारीरिक श्रम करता है, इसलिए सबकी खाने की जरूरत अलग-अलग हैं। ओवर ईटिंग के शिकार लोग , जो ओबेसिटी से ग्रसित हैं ,उन्हें व्यक्तिगत आहार योजना को उपयोग में लाना चाहिए । आजकल ओवरइटिंग का कारण कोरोना संकट और अनियमित जीवन शैली के कारण शारीरिक गतिविधियां कम होना भी है। व्यायाम की भारी कमी,और ओवरईटिंग का मसला गंभीर एवं चुनौतीपूर्ण है।
आजकल ऑनलाइन विविध प्रकार के व्यंजन बनाने का भी चलन जोरों पर हैं। यह शौक भी ओवरइटिंग की ओर बढ़ाता है। पिज़्ज़ा पर पिज़्ज़ा फ्री , हैप्पी आवर और ना जाने किन-किन डिस्काउंट एवं ऑफर्स का लालच देकर ग्राहक को आकर्षित किया जा रहा है , अब प्रचुर मात्रा में खाने से ओबेसिटी और अनेक बीमारियां होना लगभग तयशुदा है। कुछ रुपयों का तत्काल फायदा आंखों पर पट्टी बांध देता है, जिससे कि भविष्य में उनसे उत्पन्न होने वाली समस्याएं दिख नहीं पाती और बाद में जेब और सेहत दोनों को हल्का कर देतीं हैं। हमें जागरूक ग्राहक बनने की आवश्यकता है ,जिसको यह ज्ञान हो कि क्या चीज उसकी जरूरत की है और किस चीज से दूरी बनाना बेहतर है। ओवरइटिंग की समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि एक अधिकृत एवं विश्वसनीय आहार विशेषज्ञ की सलाह लें ।आहार विशेषज्ञ आपकी समस्या को बेहतर समझ सकता है ।
खाने की मात्रा एवं समय को लेकर भी जागरूक होने की आवश्यकता है। एक सामान्य नियम जो हर व्यक्ति ओवरईटिंग की समस्या से उबरने एवं बचने के लिए अपना सकता है ,वह है अपनी दिनचर्या में संतुलित भोजन (बैलेंस डाइट) की नियुक्ति करना।