बरसात का सुहाना मौसम लाता है ढेरों खुशियां, मगर कहीं उन खुशियों को नज़र न लग जाए इसलिए मौसम में बदलाव के साथ खान-पान में करें परहेज।
बरसात का मौसम यूं तो सुहानी बूंदें लाता है जो की इंसान के मन को खुशहाली से भर देता है मगर साथ ही यह बदलता हुआ मौसम ला सकता है विभिन्न बीमारियां, संक्रमण, मौसमी सर्दी और फ्लू। इस मौसम में अक्सर यह भी देखा जाता है की जगह-जगह पानी भर जाने से बहुत से लोग मलेरिया, डेंगू, एलर्जी एवं स्किन संबंधी बीमारियों से भी पीड़ित हो जाते है।
इसलिए, इस वर्षा ऋतु का पूरा आनंद लेने के लिए हमें हमारे खान-पान से लेकर रहन-सहन तक का खास ख्याल रखना चाहिए। इस मौसम में ज़रूरी है कि हम अपने और अपने आस पास साफ-सफाई रखे तथा अपने आहार का भी विशेष रूप से ख्याल रखें। जैसी की खाली गमले, खाली टायर, कूलर इत्यादि में पानी बिल्कुल न जमा होने दे। ऐसा करने से आप खुदको मच्छरों के आतंक से बचा सकते है।
विशेषज्ञ की राय अर्चना अग्रवाल प्रसिद्ध न्यूट्रीशनिस्ट बहुत गर्मी के बाद वर्षा ऋतु बहुत सारी ठंडक लेकर आती है जो न केवल हमारे बाहर बल्कि अंदर भी ठंडक पहुंचाती है। ऐसे में खीरा, ककड़ी, तरबूज़, खरबूजा या लीची जैसे फलों का सेवन कम कर देना चाहिए क्योंकि उस समय बाहरी वातावरण में पानी अधिक मात्रा में होता है। इस समय विटामिन सी से भरपूर फूड्स का सेवन करना लाभकारी होता है। करौंदे, हरी मिर्च, चुकुंदर, एवं अदरक जैसे फूड्स गैस से बचाव देते है और खाने को हज़म कराते हैं। ध्यान रखें की चीनी-नमक का ज़्यादा उपयोग न करें। घर में मौजूद गरम मसाला, इलाइची, हल्दी, काली मिर्च, इत्यादि का सेवन करें, यह खाना पचाने में सहायक होता है। हमारी पाचन क्रिया अपना अंतिम रूप हमारी छोटी आंत में लेती है और उसी के ज़रिए हमारा खाना हज़म होकर ख़ून में पहुंचता है। खून के प्रवाह में अगर कोई भी गलत चीज़ पहुंचती है जैसे की कोई बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, अनपचा भोजन या अनपचा प्रोटीन तो हमारा शरीर यानी हमारा इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है। |
अक्सर इस समय खाने-पीने वाली चीज़ों में कीड़ा लगने का डर और भी बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब बारिश की वजह से हवा में उमस होती है यानी जब मौसम में नमी के साथ-साथ गर्मी भी होती है; तब खान-पान में बैक्टीरिया और फंगस के पनपने का सबसे ज़्यादा डर रहता है। ऐसे मौसम में कच्चे फल व सब्ज़ियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पके हुए खाने को भी ज़्यादा ठंडा-गरम नहीं करना चाहिए। हमारी कोशिश यह होनी चाहिए की हमारा भोजन ताज़ा पका हो। इसकी महत्ता ख़ासकर बारिश के दिनों में और ज़्यादा बढ़ जाती है क्योंकि चीज़ों का खराब होने का डर बढ़ जाता है। हम जो भी सब्ज़ियां खाए, वह मौसमी हो तथा बहुत ज़्यादा पानी वाले फल व सब्ज़ियों का सेवन कम कर दें।
बारिश के मौसम में स्टोरेज पर ध्यान देना भी आवश्यक हो जाता है। हमें इस बात का ध्यान रखना है की सूखी चीज़ें के पैकेट खोलते वक्त कहीं हमारे हाथ गीले ना हो। इतनी सी ही नमी बहुत होती है फंगस जैसी चीज़ों को बढ़ावा देने के लिए। चीज़ों को खुला नहीं छोड़ना चाहिए और नमी से बचाके रखने के लिए सारे पदार्थों को एयर टाइट डब्बों में रखें। हमें अपनी पाचन क्रिया को हमेशा ही ठीक रखना चाहिए लेकिन बारिश के दिनों में यह और भी ज़्यादा ज़रूरी हो जाता है। बारिश के दिनों में चाहे पकी हुई चीज़ें हो या कच्ची चीज़ें हो, उनमें छोटे-छोटे जीवाणु आसानी से पनपने लगते है। ऐसे में कोशिश करें कि खाने-पीने चीजों को उबाल के ही इस्तमाल करें। आज के समय में जब सबका ध्यान कोविड की वजह से काढ़ा और सुपर फूड्स जैसी चीज़ों के प्रति चला गया है, ऐसे में इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है की कोई भी चीज़ हमेशा संतुलन या सीमा में ही ठीक होती है।
आइसक्रीम व दूध से बनी चीज़ों का सेवन भी बिलकुल संतुलित मात्रा में करें। आज कल जामुन, चेरी, आलूबुखारा जैसे फलों को ज़रूर खाएं। इनमे बहुत अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते है जो की शरीर के टॉक्सिंस को हटाने में सहयोग देते है। अलग-अलग तरीकों के बीज और ड्राई फ्रूट्स जैसे की बदाम, अखरोट, मुनक्का, का सेवन करें।
खाना हमेशा समय से ३ बार खाएं और गरिष्ठ भोजन न करें। मधुमेह (डायबिटीज़) और उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के लिए जो आवश्यक परहेज़ रखना है, उनके ऊपर ध्यान दें। समय से खाना खाए, समय से सोए, संतुलन बनाए रखे। खाने को अच्छे से चबाएं, न जल्दी- जल्दी खाएं और न ही ज़्यादा समय लगाए। योग करें ताकि शरीर में स्फूर्ति रहे और मन खुश रहे।
बारिश के मौसम में धरती की प्यास बुझती है जिससे जल स्तर भी बढ़ता है। इसलिए, बारिश के दिनों में ज़्यादा से ज़्यादा पौधारोपेण करना चाहिए जिससे वनों और जंगलों का विस्तार होता है जिससे पर्यावरण का सुधार होता है। बाहर का पर्यावरण सही, तो अंदर भी सब सही!