दिल्ली में हुए बवाना विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर बीजेपी के दल-बदलूओं को प्राथमिकता देने व चुनाव लडवाने की शैली को खारिज कर दिया है। वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी बडी संख्या में दल-बदलूओं को चुनाव लडवाया गया था जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पडा था, 65 वर्ष के पार्टी के इतिहास में सबसे बुरी व शर्मनाक हार झेलनी पडी थी। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में मोदीजी के नाम पर भले ही दल-बदलू जीत गए हों पर बीजेपी को समझना चाहिए कि दल-बदलूओं के प्रति दिल्लीवासियों की धारणा सदैव ही नकरात्मक रही है, अरविन्द केजरीवाल को गाली देने व कोसने मात्र पर ही टुच्चे व छिछोरे किस्म के दल-बदलूओं को सर पर बैठाना और वर्षों से संघर्षरत अपने कार्यकर्त्ताओं को किनारे करना पार्टी कार्यकर्त्ताओं को ही नहीं दिल्लीवासियों को भी नहीं सुहाता है।