नई दिल्ली: भारतीय विशेषज्ञयों के अनुसार इस वर्ष जम्मू कश्मीर के 70 स्थानीय युवाओं ने आतंकवादी संगठनों का दामन थाम लिया है। इनमें से अधिकांश युवक आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हुए बताये जा रहे है। लेकिन दूसरी ओर ये कोई नही देखता कि हर वर्ष कितने कश्मीरी युवा सरकारी महकमे में बढ़ चढ़कर भाग लेते है।
आंकड़े बताते हैं कि हजारों युवा भारतीय सेना में आवेदन देते है। जिसमे से अधिकांश चयनित भी होते है बीते वर्ष 19000 कश्मीरी युवाओं ने आवेदन दिया। जिनमे से अधिकांश चयनित भी हुए। ऐसा नही कि कश्मीरी युवा केवल भारतीय सेना में ही आवेदन दे रहे है। कश्मीर पुलिस में निकले 698 पदों के लिए 67218 कश्मीरी युवाओं ने आवेदन किया।
पिछले साल जुलाई में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुहरन वानी के साथ मीडिया लड़ाई में बहुत से युवाओ ने कश्मीरी पुलिस व भारतीय सेना का साथ दिया था। कश्मीर पुलिस प्रवक्ता के अनुसार कश्मीर पुलिस में आवेदन करने वाले 67218 युवाओं में से 31,496 युवा जम्मू प्रांत से हैं व शेष कश्मीर से है। भारतीय विशेषज्ञयों की माने तो धीरे धीरे कश्मीरी युवा आतंकवाद व अलगावाद का रास्ता न चुनकर सरकारी महकमे की तरफ अग्रसर हो रहे है।
और जो शेष वचे कश्मीरी युवाओं का अलगाववाद व आतंकवाद अपनाने का एक सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी भी है उनके प्रति भारतीय सरकार का दायित्व है कि वह उनको गलत राह पर न भटकने दे। और उनके लिए ज्यदा से ज्यदा रोजगार के साधन खोजे जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आये और कश्मीर का कोई भी युवा आतंकबाद की राह न अपनाए।