नई दिल्ली : डेरा सच्चा सौदा का प्रारम्भ 1948 ई॰ में हुआ था। इसका संस्थापक शहंशाह मस्ताना नाम के एक धार्मिक गुरू को माना जाता है जिन्होंने एक झोपड़ी से आध्यात्मिक कार्यक्रमों और सत्संगों का आयोजन करके इसकी शुरुआत की थी।
इसके बाद सन 1990 ई॰ में गुरमीत राम रहीम ने यहाँ की गद्दी संभाली इन्होने अपने डेरे को नाम व पैसा तो बहुत दिया लकिन अन्दर ही अन्दर घिनौने काम भी वह करते रहे इसी कारण आज उनके सामने ऐसी परिस्थितियाँ आ पड़ी की उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। अगर गुरमीत राम रहीम के पापों पर नज़र डाले तो उन्होंने गद्दी संभालते ही दुष्कर्म करना आरम्भ कर दिया था अगर उस समय इसपर सरकार या लोगो ने रोक लगे होती तो शायद ये बात इतनी ज्यदा नही बढती कि 25-30 लोगो की जान चली जाये। और करोडो की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुचाया जाय।
बताया जा रहा है कि सन 1998 ई॰ में बेगू गांव का एक बच्चा डेरे की जीप से कुचला गया। ख़बर को छापने वाले अख़बार को डेरा के लोगों ने धमकाया। बाद में डेरा सच्चा सौदा की ओर से लिखित माफ़ी मांगी गई और विवाद का निपटारा हुआ। मई 2002 डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए डेरा की एक साध्वी द्वारा गुमनाम पत्र तत्तकालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा गया। जिसकी एक प्रति पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई। व 24 सितंबर 2002 हाईकोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में जांच के आदेश दिए।
10 जुलाई 2002 डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत की हत्या हुई। जिसका आरोप गुरमीत राम रहीम पर ही लगे क्योंकि उन्हें शक था कि रणजीत ने ही साध्वी को पत्र लिखने के लिए भड़काया है। जबकि वह अपने पिता से कह चूका था की मैंने किसी से पत्र लिखने के लिए नही बोला। परन्तु इस पत्र में जो कुछ भी लिखा हुआ है वो 100 फीसदी सही है। लकिन रणजीत को फिर भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
24 अक्टूबर 2002 सिरसा के सांध्य दैनिक 'पूरा सच' के संपादक रामचन्द्र छत्रपति को घर के बाहर बुलाकर पांच गोलियां मारी गईं और उनकी मौत 21 नवंबर 2002 दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुई ।
10 नवंबर 2003 पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए। व दिसंबर 2003 सीबीआई ने छत्रपति और रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू कर दी। दिसंबर 2003 में ही डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच पर स्टे लगा दिया। तथा नवंबर 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को ख़ारिज कर सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश दिए सीबीआई ने फिर से मामले की जांच शुरू कर डेरा प्रमुख समेत कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया।
सीबीआई के अधिकारियों के ख़िलाफ़ चंडीगढ़ में हज़ारों की संख्या में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया।साध्वी के दिए गये बयान और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने राम रहीम 25 अगस्त 2017 को दोषी ठहराया। इसके बाद तो समर्थकों के बीच छिपे राम रहीम के गुंडों ने कोर्ट के निर्णय का विरोध करते हुए तोड़ फोड़ शुरू कर दी जिसके कारण लोगो की जान व माल का भरी नुकसान हुआ।