सृजन घोटाले में लालू करीबी आई॰ए॰एस॰ अधिकारी शामिल

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नई दिल्ली: इस समय सबसे ज्यादा चर्चित रहे बिहार के सृजन घोटाला एक नया मोड ले चूका है इस घोटाले की अहम कड़ी मने जाने वाले कल्याण विभाग के कर्मचारी महेश मंडल की भागलपुर मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मौत हो गई है। 

डॉक्टरों के अनुसार महेश मंडल कई किस्मों जैसे कि किडनी, हृदय और मधुमेह व उच्च रक्तचाप जेसी बीमारियों के साथ लड़ रहे थे। JLNMCH  चिकित्सा अधीक्षक डॉ॰ राम चरित्र मंडल ने मीडिया को बताया कि मंडल को रविवार रात 10:17 बजे अस्पताल में लाया गया था और  10:37 बजे उसका निधन हो गया। लेकिन जैसे जैसे पुलिस इस मामले की जाँच करती जा रही है।

वैसे वैसे इसमें इस मामले से जुडी कड़ी खुलती जा रही है। मनोरमा देवी और उनकी संस्था सृजन के शुरुआती  दिनों में कई आई॰ ए॰ एस॰ अधिकारियों जिसमें अमिताभ वर्मा, गोरेलाल यादव व के॰ पी॰ रामैया आदि ने सृजन को चलाने में सहायता की। गोरेलाल यादव के समय एक अनुसंशा पर दिसंबर 2003 में सृजन के बैंक खाते में सरकारी पैसा जमा करने का आदेश दिया गया उस समय बिहार की मुख्यमंत्री लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी थीं।

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जब से ये सामने आ रहा है कि यह घोटाला राबड़ी देवी के कार्य काल में शुरू हुआ तब से नीतीश कुमार भी इस मामले को गहराई से ले रहे है। लालू यादव जो सीबीआई जाँच की पुकार लगा रहे थे वो इस समय चुप है।  वही दूसरी तरफ विपक्ष का आरोप है कि सीबीआई भी केन्द्रीय सरकार के इशारों पर चल रही है। तो इस मामले की जाँच ठीक प्रकार से नही हो पायेगी।

बताया जा रहा है कि रामैया ने  भी सबौर ब्लॉक में एक बड़ा जमीन  का टुकड़ा सृजन को देने का आदेश दिया था  यदि उस समय इस मामले पर सख्ती दिखाई जाती तो सृजन के नाम पर  इतना बड़ा घोटाला नही हो पता।  इस दौरान यदि किसी जिला अधिकारी के कार्यकाल में सृजन के खाते में सर्वाधिक पैसा गया तो वो था वीरेंद्र यादव जिसके 2014 से 2015 के बीच करीब  285 करोड़ सृजन के खाते में गया। वीरेन्द्र भी लालू यादव के करीबी माने जाते हैं ।

सृजन की सचिव मनोरमा देवी के अलावा, इस सरकारी राशि के अवैध ट्रांसफर में सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी के होने का दावा किया जा रहा है जिसमे बैंक ऑफ़ बड़ोदा और इंडियन बैंक के पदाधिकारी और उनके कर्मचारी सामिल है। इनका काम ये होता था की ये लोग जिला प्रशासन से सम्बंधित बैंक खातों के पासबुक में एंट्री और स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट को बैंकिंग सॉफ्टवेयर से तैयार नहीं कर फ़र्ज़ी तरीके से तैयार कराते थे। 

 

 

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