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करोना संकट के समय एकजुटता जरूरी: भारत प्रथम

वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर देश में अब ढ़लान की तरफ है। पहली लहर के बाद दूसरी लहर का प्रकोप कहीं अधिक दिखाई पड़ा। कोरोना को लेकर तमाम बातें सामने आईं हैं, लेकिन किसे प्रमाणिक माना जाए अथवा किसे नहीं इसको लेकर दावेदार भी किन्तु-परन्तु की मुद्रा में है। इस अदृश्य लड़ाई को समूचे विश्व ने अपने तरीके से लड़ा, लेकिन भारत इसमें अव्व्वल इसलिए भी रहा क्योकिं भारत के पास आध्यात्मिक एवं संयमित जीवन शैली आज भी विद्यमान है, फिर भी देश ने जो दुःख सहा है, वह असहनीय है। 

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विवेकानंदा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन का उद्घाटन समारोह सम्पन्न

नई दिल्ली: वर्तमान समय में सूचना एवं सम्प्रेषण के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं तो वहीं अनगिनत चुनौतियाँ भी मौजूद हैं | तकनीकी बदलाव ने जहाँ मीडिया के क्षेत्र-विस्तार में सहयोग किया है वहीं बाजार ने पूरे मीडिया परिदृश्य को बदलने का कार्य किया है | बदलते वैश्विक परिवेश में प्रशिक्षु पत्रकारों को तकनीकी जानकारी देने के साथ ही सामाजिक मूल्यों की शिक्षा देना भी जरुरी है जिससे वे स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान दे सकें | उक्त उद्गार विवेकानंदा इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोफ़ेशनल स्टडीज, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ० एस सी वत्स ने विवेकानंदा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किया | उन्होंने उम्मीद जताई कि संस्थान द्वारा संचालित पाठ्यक्रम न सिर्फ सम्प्रेषण के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्षों पर खरा उतरेगा अपितु कुशल एवं समाज के प्रति संवेदनशील मीडियाकर्मी तैयार करने में भी अग्रणी भूमिका का निर्वहन करेगा | इस अवसर पर संस्थान के उपाध्यक्ष श्री सुनीत वत्स ने मीडिया के क्षेत्र में करियर की चाह रखने वाले प्रशिक्षु पत्रकारों को इस क्षेत्र में हो रहे बदलाव के अनुसार तैयार करने पर बल दिया, साथ ही मीडिया के क्षेत्र में उपलब्ध अवसर को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किये गये पाठ्यक्रम को उन्होंने वर्तमान की जरुरत कहा | पाठ्यक्रम की रूप-रेखा प्रस्तुत करते हुए प्रो० सिद्धार्थ मिश्र ने कहा कि मीडिया के व्यावहारिक पक्ष पर आधारित इस पाठ्यक्रम में अद्यतन अन्तर्वस्तु को समाहित किया गया है जिससे छात्र के लिए रोजगार पाना आसान हो सके | प्रो० मिश्र ने कहा कि पी जी डिप्लोमा के रूप में प्रस्तुत इस पाठ्यक्रम के दौरान व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए मीडिया के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान रखने वाले विशेषज्ञों की एक टीम उपलब्ध रहेगी जिनके निर्देशन में छात्र ‘मीडिया इंडस्ट्री’ आधारित कार्यों को सम्पादित कर सकेंगे | पाठ्यक्रम के दौरान छात्र को जापानी एवं कोरियाई भाषा भी सिखाई जाएगीं जिससे छात्र बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में भी रोजगार प्राप्त कर सकेंगे | गुरुकुल परम्परा को समावेशित कर प्रस्तुत किये गये पाठ्यक्रम को प्रो० मिश्र ने पूरी तरह से बाजारोन्मुखी एवं रोजगारन्मुखी बताया | ऑनलाइन प्लेटफार्म ‘ज़ूम’ पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रो० चारुलता सिंह, सुमित पांडे, सौम्य त्यागी, दीपक अधर, अभिषेक आनन्द, रितु सिंह, एवं अश्विनी शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे |

 
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पर्यावरण संरक्षण की सीख देता है वट सावित्री व्रत

हिन्दू धर्म में अखंड सौभाग्य के लिए किया जाने वाला वट सावित्री व्रत न केवल हमारी परम्पराओं को सहेजता है बल्कि हमें अपने पर्यावरण को बचाने की भी सीख देता है। 

कोरोना संकट का सामना कर रही दुनिया में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इन परेशानियों में पर्यावरण प्रदूषण ने न केवल समस्याओं को बढ़ाया है बल्कि उन्हें अंतहीन बीमारियों की ओर अग्रसर किया है। प्रदूषण से कमजोर हुए फेफड़ों पर कोरोना की दोहरी मार ने लोगों की प्रतिरोधक क्षमता पर सीधा प्रहार किया । ऐसे में सांस लेने में तकलीफ और शरीर में आक्सीजन की कमी जैसी मुश्किलों से लोग परेशान हो गए। 

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आज बुद्ध होते तो क्या कहते !

किसी का जीवन से हमेशा के लिए चले जाना, एक खालीपन पैदा करता है, यह सूनापन जो कभी नहीं भर सकता, इससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है और इससे उबरने में महात्मा बुद्ध के उपदेश होंगे मददगार । 

आज कोरोना महामारी का समाज के सभी वर्गों ने सामना किया है, इससे जो समस्याएं आयी हैं वह अकल्पनीय हैं, इन परिस्थितियों में महात्मा बुद्ध होते तो क्या कहते! वह हमें इस निराशा से दूर निकालतें, वह हमें मध्यम मार्ग का अनुसरण करने तथा चार आर्य सत्यों पर चलने की प्रेरणा देते।

गौतम बुद्ध अपने प्रथम आर्य सत्य में संसार दुखमय है के विषय में बताते हैं। कोराना महामारी के दौरान भारत में मौत, बीमारी, आर्थिक कठिनाइयों के कारण जीवन में भय और अनिश्चतताएं व्याप्त है, लेकिन यह जीवन का एक हिस्सा है। इन कठिनाइयों के साथ शांति बनाए रखें। खुद को टूटने से रोकें, आप वर्तमान में जीएं, अतीत में न जाएं और भविष्य के बारे में नहीं सोचें, वास्तविकता को स्वीकार करें। 

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यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर ए पी सिंह कोविड-19 के समय में चिकित्सा क्षेत्र में बने मिसाल

                        

डॉक्टर ए पी सिंह वरिष्ठ फिजीशियन कोविड-19 के मरीजों के उपचार में स्वयं के जीवन को जोखिम में डालकर और बहुत ही कठिन दिनचर्या का पालन कर जी जान से मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं

प्रतिदिन प्रातः 6:30 बजे उठकर वह घर से यशोदा हॉस्पिटल कौशांबी के लिए अपने इलाज में चल रहे 70 से भी ज्यादा भर्ती मरीजों के इलाज के लिए निकल पड़ते हैं और ब्रेकफास्ट भी गाड़ी में ही करते हैं प्रातः मरीजों का हाल-चाल एवं उनकी जांच और अपडेट लेने के लिए स्वयं एक एक मरीज के पास पीपी ई  किट पहन कर जाते हैं और उनकी समस्याओं को सुनकर तदनुसार उनकी दवाइयां एवं अन्य जरूरी जांचें लिखते हैं

सामान्यतया दिन में वह 6 घंटे पीपी ई किट में रहते हैं, 
इसी में अपने व्यस्त समय में वह 2 घंटे अपने रिश्तेदारों एवं दोस्तों के मरीजों के लिए ऑनलाइन वीडियो कंसल्टेशन देते हैं ,डॉक्टर ए पी सिंह बताते हैं कि यह उनकी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारी है जिसे बखूबी निभाते हैं.
हॉस्पिटल से जाने के बाद ऐसे मरीज जो कोविड-19 के डर से हॉस्पिटल नहीं आना चाहते उन्हें वैशाली सेक्टर दो स्थित दीप क्लिनिक में अपना परामर्श देते हैं, बड़ी मुश्किल से लंच के लिए शाम 6:00 बजे तक समय निकाल पाते हैं हैं या कभी-कभी वह रहे भी जाता है . 
क्लीनिक के मरीजों को देखने के बाद दोपहर 3:00 बजे से दोबारा वह अस्पताल का राउंड लेते हैं और अपने कोविड-19 वार्ड एवं आईसीयू में भर्ती मरीजों को स्वयं मिलकर अपडेट लेते हैं.
डॉक्टर ए पी सिंह को कोविड-19 की पहली लहर में दो बार कोरोना संक्रमण हुआ था और वह काफी लंबे समय तक आईसीयू में भी भर्ती थे ऐसे में उनके परिवार ने उन्हें कोविड-19 की दूसरी लहर में कोविड-19 के मरीजों को देखने से मना किया और पुरजोर कोशिश की कि वह कोविड-19 के मरीजों से दूर रहें लेकिन अपनी डॉक्टरी पेशे की जिम्मेदारी को महसूस करते हुए और उसे निभाते हुए उन्होंने परिवार की एक न सुनी और वह कोविड-19 के मरीजों का निरंतर इलाज करते रहे, डॉक्टर ए पी सिंह बताते हैं कि वह हर 15 दिन में अपना कोविड-19 का टेस्ट भी कराते रहते हैं और ईश्वर की कृपा से अभी तक उन्हें इस दूसरी लहर में इसका संक्रमण नहीं हुआ.

डॉक्टर ए पी सिंह मरीजों एवं सामान्य जनता को संदेश देना चाहते हैं कि दूसरी लहर जैसे-तैसे निकल रही है लेकिन तीसरी लहर के लिए हमें तैयार रहना चाहिए और यह नहीं सोचना चाहिए कि दूसरी लहर अब कम हो गई है तो हम  असावधानी बरत सकते हैं और मास्क उतार सकते हैं और सामाजिक दूरी भी खत्म कर सकते हैं, उन्होंने ऐसा करने से कतई मना किया और कहा कि तीसरी लहर के लिए हमें तैयार रहना चाहिए और कोविड-19 19 से बचाव के सभी तरीकों को अपनाना चाहिए