चैत्र नवरात्र में करें देवी की पूजा, मिलेगा आर्शीवाद

270

चैत्र नवरात्र आ गया है, इस नवरात्र में नौ दिनों के दौरान आप अपने तन-मन और विचारों को शुद्ध रख कर देवी की उपासना करें। देवी की आराधना आपको कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण से बचने में मददगार करेगी। तो आइए हम आपको चैत्र नवरात्र में आपको कुछ खास नियमों और पूजा विधि के बारे में बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप देवी मां को प्रसन्न कर सकते हैं। 

नवरात्रि में इन नियमों का पालन जरूर करें

नवरात्रि के नौ दिन अगर आप व्रत रखें तो कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। व्रत रखने के लिए सबसे पहले तन, मन और विचारों में शुद्धता रखना आवश्यक है। अगर आप व्रत रखते हैं तो फलाहार करते रहें। लेकिन किसी कारण से व्रत रखने में आप सक्षम नहीं हैं तो दिनभर व्रत रखकर शाम को देवी मां की पूजा तथा आरती के बाद शाकाहारी भोजन ग्रहण कर सकते हैं। 

नवरात्र में देवी को भोग लगाने का भी है खास विधान 

नवरात्र के नौ दिनों में देवियों को भोग लगाने की खास विधि है। पहले दिन देवी को गाय का घी, दूसरे दिन शक्कर और तृतीया के दिन दूध और दूध से मिठाई चढ़ाएं। नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा को होता है , उन्हें मालपुए अर्पित करें। पंचमी को केला और षष्ठी को शहद को भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं। सप्तमी को गुड़, अष्टमी को नारियल और नवमी को तिल अर्पित करने से मां भक्तों को विशेष आर्शीवाद प्रदान करती हैं।

घर के मंदिर में जलाएं अंखड ज्योति 
नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है। आप भी अपने घर में अखंड ज्योति जलाएं। इसके लिए मिट्टी या पीतल का का दीपक लें और इसे हमेशा किसी चौकी या पटरी पर रखें। अखंड ज्योति की बाती हमेशा रक्षा सूत्र से बनायी जाती है इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र लें और बाती बनाकर उसे दीपक के बीच में रखें। दीप में घी, सरसों या तिल का तेल डाल सकते हैं।  दीपक जलाने से पहले मां दुर्गा, भगवान शिव और गणेश भगवान का ध्‍यान करें। अगर आपकी कोई मनोकामना है तो अखंड ज्योति जलाते समय इसे ध्यान में रखें। दीपक के आसपास लाल फूल भी रख सकते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि अखंड ज्योति कभी बुझने नहीं पाएं उसमें हमेशा घी या तेल डालें।

इस नवरात्र में ऐसे करें पूजा

चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का खास महत्व होता है, इसलिए पहले विधिवत कलश स्थापित कर लें। इसके लिए पवित्र मिट्टी से बनाए गए वेदी पर कलश स्थापना करें। उसके बाद  वेदी पर जौ और गेंहू बो दें। फिर अपनी शक्ति अनुसार मिट्टी या तांबे का कलश विधिपूर्वक स्थापित करें। साथ ही नौ ग्रह और गणेश जी को भी स्थापित करें तथा कलश पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। विधिपूर्वक कलश स्थापना के बाद देवी मां का षोडशोपचार पूजा करें। इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके अलावा आप नवरात्र के नौ दिन विभिन्न देवाओं की आराधना तथा कथा भी पढ़ सकते हैं। 

कन्या पूजन भी करें

चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व होता है। यह कन्या पूजन अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है। कन्याओं को साक्षात् मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। कन्या पूजन में नौ, सात, पांच, तीन, या एक कन्या को देवी रूप मानकर बैठाया जाता है। उसके बाद उन्हें विविध प्रकार का प्रसाद खिलाकर, दान देकर आर्शीवाद लिया जाता है। 

कलश स्थापना का शुभ संयोग 

इस नवरात्र में कलश स्थापना का संयोग बहुत शुभ है। कलश स्थापना के समय शुक्र ग्रह का उदय हो रहा है जो समृद्धि का कारक है। इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर देवी की आराधना करने से भक्तों की आर्थिक परेशानी दूर होती है। साथ ही नवरात्र में कलश स्थापना चक्र सुदर्शन मुहूर्त में करना अच्छा माना गया हैं। लेकिन अगर आप अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाएं तो अनुकूल लाभ, शुभ तथै अमृत चौघडिया भी अच्छी मानी गयी है। अगर इन सभी मुहूर्तों में भी आप घट नहीं बैठा पाए तो सोम, बुध, गुरु और शुक्र में से किसी की भी दिन होरा में कलश स्थापित करें।

स्थापना के समय ये तरीके अपनाएं

कलश स्थापित करने के लिए व्यक्ति को सदैव नदी की रेत का इस्तेमाल करना चाहिए। इस रेत में सबसे पहले जौ डालें। उसके बाद कलश में इलायची, गंगाजल, पान,  लौंग, रोली, सुपारी, कलावा, हल्दी, चंदन, रुपया,अक्षत, फूल इत्यादि डालें। इसके बाद  'ॐ भूम्यै नमः' का जाप करते हुए कलश को सात प्रकार के अनाज के साथ रेत के ऊपर स्थापित करें। मंदिर में जहां आप कलश स्थापित किया है वहां नौ दिन तक अखंड दीपक जलाते रहें। 

इन्हें भी आजमाएं

कलश की स्थापित करते समय मुहूर्त का हमेशा ध्यान रखें। कलश का मुंह कभी भी खुला न रखें। साथ ही अगर आप कलश को किसी बर्तन से ढक कर रख रहे हैं, तो उस बर्तन को कभी भी खाली नहीं छोड़े बल्कि उसे चावलों से भर दें। यही नहीं चावल के बीच में एक नारियल भी रखें। प्रतिदिन अर्चना के पश्चात माता रानी को शुभ-शाम लौंग और बताशे चढ़ाएं। ध्यान रखें देवी को लाल फूल बहुत पसंद हैं। इसलिए हमेशा लाल फूल चढ़ाए। मां दुर्गा को मदार, आक, दूब और तुलसी पत्र अर्पित न करें। 

Add comment


Security code
Refresh