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बालों के लिए विटामिन ई भी है जरूरी

रेशमी, काले और घने बाल सभी को पसंद आते हैं। बालों को सेहतमंद और खूबसूरत बनाने में विटामिन ई की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

आपका शरीर सेहत त्वचा और बाल पूरी तरह से आपके खानपान पर निर्भर है। आप जो भी खाते हैं वो शरीर को किसी ना किसी तरह से प्रभावित करता हैं। इसका कारण यह है कि आपको खानपान के माध्यम से जो तत्त्व आपके शरीर के अंदर जाते हैं , उनकी वजह से कई अंग काम करते है। अगर आप अपने बालों को घना, काला और मज़बूत बनाना चाहते है तो आपको अपने खानपान को और ज़्यादा संतुलित और पौष्टिक बनाना चाहिए। आपके बालों के लिए विटामिन ई बहुत फ़ायदेमंद माना जाता हैं। विटामिन ई एक एंटीऑक्सीडेंट हैं जो बालों की जड़ों में जाकर उसकी मरम्मत करता हैं और बालो के लिए विकास को बढ़ावा देता है। यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ता है विटामिन ई के आठ विभिन्‍न यौगिक होते हैं और इसका सबसे अधिक सक्रिय रूप अल्‍फा टोकोफेरोल होता है।

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यथार्थ से दूर हटती आज की फोटो पत्रकारिता - प्रवीण जैन

New Delhi: सत्य को उद्घाटित करने वाली फोटो पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है | समय सापेक्ष फोटो पत्रकारिता का क्षेत्र-विस्तार हुआ है वहीं नई चुनौतियाँ भी देखने को मिली है | तकनीकी बदलाव के साथ ही इस क्षेत्र में कई बदलाव देखने को मिले हैं | कैमरे के माध्यम से सामाजिक संवेदना को लोगों के सामने लाने वाली फोटो पत्रकारिता नामक विधा फोटो पत्रकार से कार्य के प्रति एक जुनून की माँग करती है | वर्ष १९८३ में फोटो पत्रकार के रूप में कार्य शुरू करने वाले प्रवीण जैन आज फोटो पत्रकारिता जगत के सुपरिचित हस्ताक्षर हैं | श्री जैन बाबरी विध्वंश, कारगिल युद्ध जैसी कई प्रमुख घटनाओं से जुड़े हजारों चित्र कैमरे में कैद कर चुके हैं | पॉयनियर एवं इण्डियन एक्सप्रेस जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में सेवा देने वाले जैन वर्तमान समय में ‘द प्रिन्ट’ के साथ बतौर फोटो सम्पादक जुड़े हैं | लगभग ४ दशक से फोटो पत्रकारिता को निरन्तर समृद्ध करने वाले श्री जैन विगत ३० जून, २०२१ को विवेकानंदा इंस्टिट्यूट ऑफ़ प्रोफ़ेशनल स्टडीज, नई दिल्ली के प्रशिक्षु पत्रकारों को ‘फोटो पत्रकारिता के विविध आयाम’ विषयक विशेष व्याख्यान के दौरान सम्बोधित कर रहे थे | व्याख्यान के दौरान पूछे गये प्रश्नों एवं प्राप्त उत्तर के प्रमुख अंश के संकलन की प्रस्तुति डॉ० सुनील कुमार मिश्र के द्वारा

प्रश्न- फोटो पत्रकार बनने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली ?

उत्तर- सामाजिक यथार्थ को कैमरे में कैद करने के जुनून ने मुझे फोटो पत्रकार बनने के लिए प्रेरित किया | रोहतक जैसे छोटे स्थान से मन में फोटो पत्रकार बनने का सपना सँजोकर दिल्ली पहुँचा जहाँ चाँदनी चौक प्रवास के दौरान किए गये संघर्ष ने मेरी फोटो पत्रकार की इच्छा को और भी मजबूत करने का कार्य किया | फोटोग्राफी की बारीकियों को सीखने के लिए प्रमुख फोटोग्राफर एस पॉल के साथ बतौर सहायक जुड़ा | तत्पश्चात १९८३ में बतौर फोटो पत्रकार कार्य आरम्भ किया |  

प्रश्न- आपके द्वारा खींचे गये श्वेत-श्याम चित्र अलग एवं विशेष होते थे | फोटोग्राफी के श्वेत-श्याम युग को आप किस प्रकार से देखते हैं ?

उत्तर- श्वेत-श्याम चित्र कथ्य को उभारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | इनमें रंगीन चित्रों की तुलना में विषयवस्तु से जुड़े भाव-भंगिमा अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी दिखते हैं | मैं आज भी फोटोग्राफी के श्वेत-श्याम युग को अधिक प्रभावी मानता हूँ | मेरे विचार से समाचारपत्र की अन्तर्वस्तु को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने एवं पृष्ठ-सज्जा की दृष्टि से भी श्वेत-श्याम चित्र महत्वपूर्ण थे |

Prime witness in Babri Mosque demolition recalls horror

प्रश्न- एक फोटो पत्रकार के रूप में वर्तमान कोरोना महामारी की चुनौती को आप किस प्रकार से देखते हैं ?

उत्तर- फोटो पत्रकार के रूप में कोरोना से जुड़े छायाचित्र लेना मेरे जीवन का सबसे कठिन कार्य- दायित्व है | मैं इसे कारगिल युद्ध के दौरान की गई फोटोग्राफी से भी कठिन मानता हूँ | आज की परिस्थिति में खुद को सुरक्षित रखकर फोटोग्राफी करना अधिक मुश्किल है क्योंकि हमारे सामने एक अदृश्य चुनौती है | फोटोग्राफी के लिए यात्रा के दौरान रहने एवं खाने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ता है, एवं परिचित या रिश्तेदार से भी किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती है | कोरोना जैसा दंश मैंने अपने फोटोग्राफी करियर में कभी नहीं देखा | फोटो पत्रकार को मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील भी होना चाहिए जिससे दुःख से कराह रहे व्यक्ति की पीड़ा को समझा जा सके | मैं कभी किसी की निरीह अथवा पीड़ादायक परिस्थिति को कैमरे में कैद नहीं करता क्योंकि इसके लिए मेरी अंतरात्मा इजाज़त नहीं देती है |

प्रश्न- फोटो पत्रकार को फोटो की प्रभावशीलता का पता कैसे चलता है ?

उत्तर- मुद्दों की समझ, परिस्थिति का अवलोकन, एवं विषयवस्तु का मूल्यांकन करके उचित समय पर फ्रेम को कैद करने के साथ ही हमें चित्र के प्रभावशीलता का पता चलता है | एक फोटो पत्रकार अपने मुख्य सब्जेक्ट की भाव-भंगिमा एवं परिस्थिति सापेक्ष उसकी प्रतिक्रिया पर पैनी नज़र रखकर प्रभावी चित्र प्राप्त कर सकता है |

प्रश्न- फोटो पत्रकार के रूप में अपने किस कार्य को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं ?

उत्तर- मैं अपने सभी कार्य-दायित्व को महत्वपूर्ण मानता हूँ | प्रत्येक कार्य-दायित्व अलग प्रकृति का होता है साथ ही उसकी चुनौतियाँ भी अलग होती हैं | मैं अपने प्रत्येक कार्य के प्रति नया दृष्टिकोण रखता हूँ जो मुझे कार्य दायित्व के निर्वहन के दौरान ऊर्जावान रखता है |

प्रश्न- फोटो लेते समय आप फ्रेम में निहित दृश्य-तत्वों को कितना महत्व देते हैं ?

उत्तर- फोटो पत्रकारिता में दृश्य-तत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं | सही ढंग से संयोजित फ्रेम कथ्य को प्रस्तुत करने में सहायक होते हैं परन्तु फ्रेम संयोजन के साथ ही उचित समय पर कैमरे का क्लिक बटन दबाना भी महत्वपूर्ण होता है | फोटो पत्रकार सम्भावित समाचार मूल्य वाले फ्रेम का निर्णय फोटो लेने से पहले ही कर लेता है और जैसे ही वह आवश्यक एवं प्रभावी दृश्य-तत्व को देखता है बिना एक पल की देरी किये उसे कैमरे में कैद कर लेता है | फोटो पत्रकार को हमेशा क्रियाशील रहना चाहिए जिससे प्रभावी एवं महत्वपूर्ण फ्रेम छूट न जाये |

प्रश्न- फोटोग्राफी के क्षेत्र हो रहे बदलाव का फोटो पत्रकार के ऊपर क्या प्रभाव पड़ा है ?

उत्तर- फोटो पत्रकारिता का क्षेत्र निश्चित तौर से एक नई चुनौती का सामना कर रहा है | वस्तुनिष्ठता का गुण समाहित करने वाले इस क्षेत्र में पी० आर० फोटोग्राफी की संस्कृति विकसित हो रही है जो इसके सेहत के लिए सही नहीं है | राजनीतिक क्षेत्र में आज खुश करने वाली फोटो को अधिक महत्व दिया जा रहा है | फोटो पत्रकार का कार्य क्षेत्र संकुचित हो रहा है जिससे ऑफ़-बीट फोटोग्राफी दम तोड़ रही है | यथार्थ से दूर हटती जा रही हैं आज की फोटो पत्रकारिता ।

प्रश्न- फोटोग्राफी के दौरान की चुनौतियों का आप कैसे सामना करते हैं ?

उत्तर- वैसे तो फोटो पत्रकार का कार्य क्षेत्र ही चुनौतियों से भरा है परन्तु कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिनमें फोटो पत्रकार को न सिर्फ स्वयं एवं कैमरा को बचाना होता है अपितु आवश्यक फोटो भी प्राप्त करनी होती है | दंगे एवं क्रॉस फायरिंग की परिस्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण होती है क्योंकि इस दौरान सर्वाधिक ज़ोखिम होता है |

प्रश्न- फोटो पत्रकार के लिए धैर्यवान होना कितना महत्वपूर्ण है ?

उत्तर- फोटो पत्रकार के लिए धैर्य महत्वपूर्ण है परन्तु यह उसके कार्य क्षेत्र पर निर्भर करता है | इस कार्य क्षेत्र में कुछ कार्य-दायित्व धैर्य की माँग करते हैं | व्यक्तिगत तौर पर मैं धैर्यवान नहीं हूँ, हालाँकि परिस्थिति के साथ सामन्जस्य स्थापित कर अपने कार्य-दायित्व का निर्वहन करने की कोशिश करता हूँ |

प्रश्न- फोटो पत्रकार के लिए नैतिक एवं मानवीय मूल्य कितने महत्वपूर्ण हैं ?

उत्तर- निश्चित तौर पर हमें अपने कार्यक्षेत्र में नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का अनुपालन करना चाहिए | हम समाज से कितनी गहराई से जुड़े हैं, यह इस पर भी निर्भर करता है | हम पहले मनुष्य हैं, बाद में एक फोटो पत्रकार | अपने कार्य-दायित्व के दौरान मैं हमेशा ही इस बात का ध्यान रखता हूँ एवं किसी भी संवेदनशील परिस्थितियों में मानवीय मूल्य को वरीयता देता हूँ |

प्रश्न- फोटोग्राफी के दौरान आप अपने कैमरा किट में कौन-२ से उपकरण रखना पसन्द करते हैं ?

उत्तर- फोटो पत्रकार के लिए उपकरणों का महत्व तो है परन्तु समाचार मूल्यों की समझ अधिक महत्वपूर्ण होती है | फोटो पत्रकार अपने फ्रेम को दिमाग की आँखों से देखता एवं उसका मूल्यांकन करता है इसलिए अच्छे एवं महँगे उपकरणों से अत्यधिक समाचार मूल्य वाले फ्रेम की पहचान करने वाला दिमाग महत्व रखता है | साधारण उपकरणों के साथ भी एक प्रभावी चित्र प्राप्त किया जा सकता है जबकि महँगे उपकरण भी प्रभावी चित्र सुनिश्चित नहीं करते हैं | मैं अपने कैमरा किट में कैमरे के साथ वाइड एवं लॉन्ग फोकल लेंथ क्षमता वाले दो लेंस रखता हूँ |

प्रश्न- एक फोटो पत्रकार के रूप में प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में से आप किसे बेहतर मानते हैं ?     

उत्तर- मेरे अनुसार फोटो पत्रकार के लिए प्रिंट मीडिया का क्षेत्र बेहतर है | यहाँ हमें अपने कार्य को व्यापक ढंग से लोगों के सामने लाने का अवसर मिलता है, साथ ही प्रस्तुत अन्तर्वस्तु का जीवन काल भी अधिक होता है | डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रस्तुत फोटोग्राफ की अवधि सीमित मानी जाती है साथ ही आम जनमानस इससे जुड़ाव नहीं रख पाता है | हालाँकि डिजिटल मीडिया त्वरित गति से कार्य प्रस्तुत करने का मौका देती है जो कि इसका सकारात्मक पक्ष है | डिजिटल प्लेटफार्म को हम दिन में कई बार अपडेट कर सकते हैं जबकि प्रिंट मीडिया में एक निश्चित समयावधि में ही यह सम्भव है |   

 
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धर्मनिरपेक्षता की समझ और धार्मिक अभिव्यक्ति का सवाल – भाग II

अख़बार में फ़्रान्स की एक आतंकवादी घटना पर प्रतिक्रिया के साथ हमारे और हमारी बेटी के बीच आज के धर्मनिरपेक्ष विचारो पर चर्चा हो चली। शायद यह मेरी ही गलती थी जो मैं फ़्रान्स के धर्मनिरपेक्ष नीतियों को हम अपने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के साथ जोड़ कर देखने की कोशिश कर रहा था जो ‘सर्व धर्म संभाव’ के नज़रिये से देखता है। हर समाज और देश का नज़रिया धर्मनिरपेक्षता के बारे में अलग अलग है यह समझने के लिए हमें इस के मूलतः तीन तरह की अलग अलग तरह की विवेचनाओं को समझना ज़रूरी है। ये सारी विवेचना, व्यक्ति, राज्य, समाज और इन तीनो का धर्म के साथ क़ानूनी तौर पर क्या रिश्ता हो, इसी बात पर निर्भर करता है। जॉर्ज होल्योके, जिसने पहली बार इन सिद्धांतों को राज्य की धर्म के मामले में निरपेक्ष होने के साथ जोड़ कर देखा था, वो भी शायद इस नीतिगत सिद्धांत के अलग अलग प्रैक्टिस और उसके अलग अलग परिणाम को पूरी तरह से बता नहीं पाये थे। 

इस धर्मनिरपेक्षता को समझने के लिए ज़रूरी है की इस सिद्धांत की शुरुआत जिस परिस्थिति और जिस समाज में किस समय में हुआ है उसे भी समझें। तभी हम उस समाज और राज्य में आज की धर्मनिरपेक्षता के अवतरण को समझ सकते हैं। इसका पहला उदाहरण हम फ़्रान्स को ही लेते है जो अपने राज्य और समाज में धर्मनिरपेक्षता को एक नकारात्मक सोच की तरह लेता है और किसी भी राजकीय और सामाजिक मामले से धर्म को बिलकुल अलग कर देखता है। ऐसी स्थिति में यह राज्य किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह ही धार्मिक प्रतिकवाद की इजाज़त नहीं देता है। यहाँ किसी भी तरह की धार्मिक प्रतिकवादित जैसे हिजाब, टर्बन आदि को समाज और राज्य नकारात्मक तरीक़े से देखता है और राज्य इन धार्मिक सिम्बल का सामाजिक प्रदर्शन, वहाँ के विधि द्वारा कंट्रोल करने की कोशिश करता है। ऐसी स्थिति में राज्य, सामान्य जनता के मौलिक अधिकार ज़िनमे किसी भी तरह की निजी अभिव्यक्ति का अधिकार है, उसे सर्वोपरि मानते हुए, धार्मिक अधिकारों के उससे नीचे की श्रेणी में रखता है।  धर्म इस तरह के राज्य और समाज में केवल व्यक्ति के निजी जीवन का हिस्सा हो सकता है पर उसका सामाजिक प्रदर्शनी, इन तरह के समाज में हमेशा हतोत्साहित किया जाना है। शायद अभी के सारे प्रकरण इसी बात का हिस्सा हैं।