बेटे के बाद रामविलास पासवान के भाई ने भी सीटों को लेकर BJP को दिया अल्टीमेटम

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केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और लोकजनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता चिराग पासवान के एक ट्वीट से बिहार की राजनीति गर्मा गई है. चिराग ने बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी को अल्टीमेटम दिया, जिस पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है.

रामविलास पासवान के भाई और LJP नेता पशुपति पारस ने बीजेपी को 31 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है. उनका कहना है कि इस तारीख तक बीजेपी को बिहार में लोकसभा सीटों पर फैसला कर लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि 2014 में हम एनडीए का हिस्सा बने थे, हम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे. अब हम चाहते हैं कि हमें 2014 जितनी ही सात सीटें दी जाएं. उन्होंने कहा कि जब अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच सीट शेयरिंग की बात हुई थी तो हमसे चर्चा नहीं हुई थी.

पशुपति पारस ने कहा कि अमित शाह को एनडीए के सभी नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए. जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के जाने से एनडीए संकट में है.

बता दें कि राम विलास पासवान को 'राजनीति का मौसम वैज्ञानिक' कहा जाता है. ऐसे में अगर उनकी पार्टी की ओर से बीजेपी को इस प्रकार का अल्टीमेटम दिया जाता है तो एनडीए की चिंताओं को बढ़ा सकता है.

राजद नेता मनोज झा ने कहा कि उनके ट्वीट का निहितार्थ ये है कि पूरा सिंडिकेट सिर्फ ढाई लोगों का है. उन्होंने कहा कि इनकी तानाशाही से बीजेपी के लोग परेशान हैं, टीडीपी-शिवसेना को हम देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि एलजेपी को देखकर लगता है बयार बहुत तेज है और इनका बिस्तर बंधने का समय आ गया है.

एनडीए से अलग हो चुकी टीडीपी ने भी इस पर बयान दिया है. टीडीपी के सांसद रवींद्र बाबू ने कहा कि शिवसेना ने भी इनको पहले अल्टीमेटम दिया था. एनडीए का कोई पार्टनर इनसे संतुष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि मोदी का स्टाइल किसी को पसंद नहीं है, उनकी पार्टी में कोई डेमोक्रेसी नहीं है. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे एनडीए से सभी अलग हो जाएंगे.

टीएमसी नेता सुखेंदु शेखर बोले कि पहले टीडीपी गई, फिर RLSP चली गई. अब अगर पासवान की पार्टी जा रही है, तो इसका मतलब है कि एनडीए की इमारत ढह रही है. लेकिन हम 2019 का चुनाव मुद्दों पर लड़ेंगे. इनमें नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी के मुद्दे अहम रहेंगे.

राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने चिराग के ट्वीट पर कहा कि उन्होंने ऐसी कोई भावना नहीं दिखाई है जिसमें लगता हो कि वह एनडीए के प्रति चिंता जाहिर कर रहे हों. उन्होंने कहा कि इसे गलत नहीं मानना चाहिए, ये लोकतांत्रिक व्यवस्था है. इसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसा अधिनायकवाद नहीं दिखता है.

आपको बता दें कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर एनडीए में पिछले काफी समय से मंथन चल रहा है. हाल ही में बीजेपी और जेडीयू में बराबर की सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला हुआ था. सीटों के मसले पर ही बीते दिनों उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया था और उनकी पार्टी ने एनडीए को अलविदा कहा था.

 

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