महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से मुंबई के आजाद मैदान में आए किसानों का प्रतिनिधिमंडल राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात करने के लिए निकल चुके हैं. इनके साथ महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीश महाजन भी मौजूद हैं. गिरीश महाजन ने कहा है कि आदिवासी जमीन को लेकर किसानों के बीच कुछ गलतफहमी है, जिसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा है कि अब किसानों को धरने पर बैठने की कोई जरूरत नहीं है.
बता दें कि महाराष्ट्र के किसान एक बार फिर से अपनी मांगों को लेकर 2 दिवसीय प्रदर्शन के तहत गुरुवार सबुह 11 बजे के करीब मुंबई के आजाद मैदान पहुंच गए थे.
किसान और आदिवासी लोक संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए सुबह 4:30 बजे चूनाभट्टी के सोमैया मैदान से मुंबई के आजाद मैदान के लिए रवाना हुए. लोक संघर्ष मोर्चा की अगुवाई में किसान पहले दादर पहुंचे और फिर आजाद मैदान पहुंचे. अपनी मांगों को लेकर किसानों ने बुधवार को ठाणे में प्रदर्शन शुरू किया था.
इससे पहले, समाजवाजी पार्टी के नेता अबू आजमी और विपक्ष के नेता आर विखे पाटिल भी आजाद मैदान पहुंचे. वहीं मंत्री गिरीश महाजन भी वहां पहुंचे. दूसरी ओर, राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन दोपहर दो बजे तक इनके बीच में बातचीत नहीं हो सकी थी.
इससे पहले, इसी साल मार्च में ऐसा ही बड़ा प्रदर्शन हुआ था जब 25 हजार किसान नासिक से मुंबई आए थे. मोर्चा में पुरुष और महिलाओं के अलावा बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं. प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आजाद मैदान की ओर बढ़ रहे हैं. सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल को मोर्चे के साथ तैनात किया गया है. पुलिस के अधिकारी खुद भी मौजूद हैं.
उम्मीद है कि ये मोर्चा सुबह 10 बजे तक आजाद मैदान पहुंच जाएगा. किसान नेता और लोकसंघर्ष मोर्चा संचालक प्रतिभा शिंदे ने आजतक से कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगें पूरी नहीं कि तो हम धरना-प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ी तो जेल भरो आंदोलन भी करेंगे. यह किसान महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से आए हैं. इनमें आदिवासी किसान भी हैं जो सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि जंगल की जमीन जहां पर पिछले कई सालों से यह किसान खेती कर रहे हैं उनके नाम किया जाए.
मुख्य रूप से लोड शेडिंग की समस्या, वनाधिकार कानून लागू करने, सूखे से राहत, न्यूनतन समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने जैसी मांगों के साथ ये किसान फिर से सड़क पर उतरे हैं. किसानों की शिकायत है कि पिछले प्रदर्शन को करीब 6 महीने हो गए हैं, जिनमें से किसानों को दिए गए कई आश्वासन अब तक पूरे नहीं हो सके हैं.
करीब 6 महीने पहले भी अपनी मांगों को लेकर किसानों ने मोर्चा निकाला था जिसके लिए सरकार ने 6 महीने का वक्त मांग था.फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है और अब देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र सरकार इन किसानों के लिए क्या कुछ करती है या फिर फिर से एक बार इन्हें आश्वासन देकर अपने घर वापस भेजती है. आज दिनभर ये आंदोलनकारी किसान मुंबई के आजाद मैदान में बैठ कर आंदोलन करेंगे.
महाराष्ट्र में किसान फिर आक्रोशित हैं और उनके इस आंदोलन में कई सामाजिक कार्यकर्ता और किसान आंदोलनों से जुड़े लोग शामिल हैं. संगठन की ओर से कहा गया है कि अगर महाराष्ट्र सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता है तो आंदोलन को और आगे बढ़ाया जा सकता है. महाराष्ट्र का बड़ा हिस्सा हर साल सूखे की चपेट में आता है साथ ही किसानों की आत्महत्या राज्य सरकार के लिए गंभीर चुनौती का विषय है.
मार्च में किसानों के व्यापक प्रदर्शन के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि सरकार उनके मुद्दों को सुलझाएगी. सरकार उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक है. तब कहा था कि उनकी मांगों पर चर्चा के लिए हमने मंत्रियों की एक समिति बनाई है.
हालांकि बाद में मुख्यमंत्री ने आजतक के एक कार्यक्रम में दावा किया था कि नासिक से चलकर जो लोग मुंबई आए थे, उनमें से एक भी किसान नहीं था, बल्कि वे आदिवासी थे और वे खेती करने के लिए राज्य सरकार से जमीन मांग रहे थे.