नोटबंदी के दौरान सरकार ने बैंकों को हिदायद दी थी कि बैंक सारा डाटा उपलब्ध कराये. जिसमें लाखोँ बैंक खाते शक के घेरे में रखें गए थे. इतना ही नहीं करीब 2 लाख 9 हजार कंपनियों के खातों में संदिग्ध लेन देन पाये जाने पर उनकें खातों पर रोक लगा दी गई थी.
फर्जी कंपनियों के जरिये कालेधन को सफेद कारने को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. जिन 2 लाख कंपनियों के रजिस्ट्रेशन रद्द कियें गए थे. उनको लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. आप को बता दे कि बैंकों ने बताया है कि एक एक कंपनी के नाम पर सौ-सौ खाते खुलवाएं गए थे.
एक कंपनी तो ऐसी भी है जिसकें नाम पर बैंक में 1234 खाते खुलवाये गए थे. बैंकों ने सरकार को दी गई जानकारी के मुताबिक नोटबंदी से पहले इन कंपनियों में सिर्फ 22 करोड़ रूपयें जमा थे. जबकि नोटबंदी के बाद इन कंपनियों के खातों में 4573 करोड़ रुपयें जमा हो गए.
जिन कंपनियों की जानकारी बैंकों ने सरकार को दी है उनमें 429 खाते ऐसे है जिनमें नोटबंदी से पहले शून्य बैलेंस था और नोटबंदी का ऐलान के बाद ग्यारह करोड़ रूपयें तक जमा कराए गए.
नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों ने बड़े लेन देन किए लेकिन इसकी जानकारी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ को नहीं दी. आपको बता दें कि ये पहली सूची है जो बैंकों की ओर से सरकार को उपलब्ध कराई गयी है. इसी तरह की अन्य जानकारियां आगे भी बैंक सरकार को देते रहेंगे.
इन कंपनियों के खाते की जाँच के बाद ही पता चल पायगा कि इन कंपनियों ने किसका कालाधन सफेद किया है. इसी को आधार बना कर सरकार इन कंपनियों पर बड़ी कार्यवाही कर सकती है.