एक अंग्रेज़ी अख़बार को दियें गए इंटरव्यू में यशवंत सिन्हा ने कहा कि वित्तमंत्री अरुण जेटली अभी तक इस सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद सबसे बड़ा चेहरा रहें है. कैबिनेट में नामों का तय होने से पहलें ही उनका नाम तय था कि वो वित्त मंत्रालय संभालेंगे.
लगातार गिरती जीडीपी और चरमरा रही अर्थव्यवस्था के कारण मोदी सरकार की मुश्किलें बढती जा रहीं है. विपक्ष तो इस मुद्दे पर सरकार को घेर ही रहा है अब अपनें भी इस मुद्दे पर सरकार पर सवाल खड़े कर रहें है.
वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री रहें यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर उन्होनें बड़ा हमला बोला है.
उन्होनें ने अरुण जेटली पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस तरह से अरुण जेटली काम कर रहें है, उसे देखकर लगता है कि हमारी जीडीपी और नीचें भी गिर सकतीं है.
यशवंत सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री दावा करतें है कि उन्होनें गरीबी को काफ़ी नजदीक से देखा है, और उनकें वित्त मंत्री सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा मेहनत कर रहे हैं कि भारतीय भी उस गरीबी को उतने ही नजदीकी से देख सकें.
जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन भी वाजपेयी के करीबी थे, लेकिन चुनाव हारने के बाद भी उन्हें मंत्रीमंडल में जगह दी गई. वहीं अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय भी दे दिया गया.
यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी पर निशाना साधते हुए कहा गिरती जीडीपी में और कमजोर हुई अर्थव्यवस्था में नोटबंदी ने अहम भूमिका अदा की है.
सिन्हा ने लिखा कि वह भी वित्त मंत्री रहे हैं और जानते हैं कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है। सिन्हा ने आगे कहा कि ऐसे में जेटली के कंधे पर चार मंत्रालयों की जिम्मेदारी देना भी ठीक नहीं था.
इस पर विपक्ष सरकार को लगातार घेर रहा है, वहीं सिन्हा का कहना है कि पहली तिमाही में विकास दर गिरकर 5.7 पर पहुंच गई जो तीन साल में सबसे कम है.
“सरकार के प्रवक्ता कहतें है कि नोटबंदी की वजह से मंदी नहीं आई, वो सही है क्योंकि इस मंदी की शुरुआत पहले हो गईं थी. नोटबंदी ने सिर्फ आग में घी डालने का काम किया,” एैसा कहना है यशवंत सिन्हा का/