नई दिल्ली: दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बार फिर यूनाइटेड लेफ्ट पैनल (आईसा, एसएफआई और डीएसएफ) ने बाजी मारी | छात्रसंघ अध्यक्ष की पोस्ट के लिए मैदान में उतरीं लेफ्ट पैनल की गीता कुमारी ने एबीवीपी की निधि त्रिपाठी को 464 वोटों से मात दी इस चुनाब में लगभग 58% वोटिंग हुई जिसमे 7904 विधार्थीयों में से केवल 4639 विधार्थीयों ने वोट डाली जिनमे से 19 वोट अवैघ माने गए ।
जेएनयू में भी विधार्थी परिषद्(एबीवीपी) को हराने के लिए सभी वाम दलों को एकजुट होना पड़ा इन दलों में आईसा, एसएफआई और डीएसएफ आदि शामिल थे बता दे बीते वर्ष भी लेफ्ट पैनल में कई दल शामिल थे। हर वर्ष विधार्थी परिषद्(एबीवीपी) को मात देने के लिए ये छोटे छोटे दल एक दल हो जाते है और एबीवीपी को हर का सामना करना पड़ता है ।
चुनाव के सभी चारो पदों में लेफ्ट पैनल ने बाज़ी मरी जिसमे वाइस प्रेजिडेंट के चुनाव में लेफ्ट पैनल की सिमोन जोया खान 1876 वोटों के साथ पहले नंबर पर रहीं और एबीवीपी के दुर्गेश कुमार 1028 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। जनरल सेक्रेटरी पद पर भी लेफ्ट के दुग्गीराला श्रीकृष्णा ने 2082 वोटों से जीत हासिल की।
लेकिन एबीवीपी यहां भी दूसरे नंबर पर रही निकुंज मकवाना को 975 वोट मिले। जॉइंट सेक्रेटरी के चुनाव में भी 1755 वोटों के साथ लेफ्ट के सुभांशु सिंह पहले नंबर पर और 920 वोटों के साथ एबीवीपी के पंकज केशरी दूसरे नंबर पर रहे।
अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज करने के बाद यूनाइटेड लेफ़्ट की उम्मीदवार गीता कुमारी ने अपनी जीत का श्रेय छात्रों को दिया। उन्होंने मीडिया से वातचीत के दोरान उन्होंने कहा कि वे जेएनयू के लापता छात्र नजीब का मुद्दा उठाएंगी इसके साथ वे जेएनयू में हुई सीट कटौती और नये हॉस्टल की मांग भी करेंगी।
महासचिव पद पर जीत अपने नाम दर्ज करने वाले दुग्गीराला श्रीकृष्ण के मुताबिक चुनाव परिणाम दिखाते हैं कि जेएनयू पहले से ज़्यादा लोकतांत्रिक हुआ है।
हम छात्रों के बीच जाएंगे उनकी समस्याओं को सुनेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जेएनयू में असहमति व बहस की संस्कृति को भी कायम रखने की बात भी कही। कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई का हाल बेहद ख़राब रहा। एनएसयूआई की तरफ से अध्यक्ष पद की उम्मीदवार वृषनिका सिंह को 82 वोट मिले जबकि 127 छात्रों ने नोटा का विकल्प चुना। सेंट्रल पैनल के चारों सीटों पर कुल 1512 वोट नोटा को मिले।