अब से सड़क पर नही आसमान पर चलेंगी ग्लाइडर टैक्सीयाँ

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नई दिल्ली: सड़कों के ट्राफिक की उलझन से बचने के लिए जर्मनी ने फ्लाइंग टैक्सी का अविष्कार किया है जिससे लोगो का बहुमूल्य समय बचेगा और लोग सही समय पर अपनी मंजिलो पर पहुंचेंगे विश्व में सबसे पहली उड़न भरने वाले व्यक्ति ओटो लिलिएंथल ग्लाइडर थे। 

 जिन्होंने 126 वर्ष पहले यह अनोखी खोज की  इनका  का जन्म 1848 में बाल्टिक समुद्र के पास के आंकलाम शहर में हुआ था।  जब वह छोटे थे तब अपने भाई गुस्ताव के साथ उड़ान भरने वाली तमाम चीजें बना कर कई तरह के प्रयोग किया करते।  1891 में एक दिन उनकी वही लगन और अथक कोशिश रंग लाई। 

इस वर्ष ओटो लिलिएंथल ग्लाइडर उड़ाने वाले पहले शख्स बने। जिन्होंने अपनी पहली सफल उड़ाने में उन्होंने करीब 25 मीटर की दूरी तय की। लेकिन उनकी तय की हुई यह छोटी सी दूरी 70 सालों के बाद पूरी मानवता के लिए एक बड़ी छलांग साबित हुई। 

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इसी प्रेरणा से आगे चलकर इंसान अंतरिक्ष तक पहुंचा।लिलिएंथल ने अपने पूरे हवाई करियर में 1,000 से भी ज्यादा उड़ानें भरीं. वह अपने बनाए ग्लाइडर में लगातार सुधार लाते रहे। अपनी सबसे लंबी उड़ान में उन्होंने 80 मीटर से भी अधिक दूरी तय की और 1894 में करीब 500 मार्क (लगभग 7,000 डॉलर) की कीमत चुकाकर लिलिएंथल जैसा ग्लाइडर खरीदना संभव हो गया लिलिएंथल ने बर्लिन की अपनी फैक्ट्री में कई ग्लाइडरों का निर्माण किया।

 ये जर्मनी के रहने वाले थे और जर्मनी की ही लिलियम नामक कम्पनी ने फ्लाइंग टैक्सी का निर्माण किया है। बताया जा रहा है कि यह टैक्सी 300 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चलेगी। जिसमे पांच व्यक्तियों के लिए बैठने के लिए सीट होगी और इसमें ठीक प्रकार से उड़न भरने व जमीन पर उतरने का क्षमता होगी । 

 

 

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