उत्साह से मनाया जाता है राखी का त्यौहार

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भाई-बहन के प्यार का प्रतीक राखी का त्यौहार न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल ज्योतिषीय गणना के अनुसार रक्षाबंधन बहुत शुभ है तथा भाई-बहनों के लिए विशेष मंगलकारी होगा।

भाई बहनों के लिए लाभकारी होगा यह रक्षाबंधन

सालों बाद रक्षाबंधन पर शुभ संयोग बनने से भाई-बहन के लिए यह बहुत ही लाभकारी और सुख प्रदान करने वाले होगा। इसके अलावा राजयोग बनने पर खरीदारी करना भी अत्यंत शुभ होगा।

भद्रा का नहीं है साया

इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार बहुत ही शुभ योग और भद्रारहित काल में है। अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। इस बार भद्राकाल का भय भी नही रहेगा और ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा। इसके अलावा इस बार राखी के त्योहार पर वर्षों के बाद एक महासंयोग का निर्माण होने जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल 2021 में रक्षाबंधन का त्योहार राजयोग में बनाया जाएगा। राखी बांधते समय भद्राकाल का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि भद्राकाल में राखी बांधने पर अशुभ परिणाम की प्राप्ति होती है। इस साल राखी भद्रा रहित होगी यानी इस बार राखी का त्योहार पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस कारण से राखी पर पूरे दिन राखी बांधी जा सकती है।

भारत से बाहर भी मनाया जाता है राखी का त्यौहार

नेपाल में भी राखी का त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। लेकिन यहां इसे राखी न कहकर जनेऊ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन घर के बड़े लोग अपने से छोटे लोगों के हाथों में एक पवित्र धागा बांधते हैं। राखी के अवसर पर यहां एक खास तरह का सूप पीया जाता है, जिसे कवाती कहा जाता है।

गमहा पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है रक्षाबंधन

देश के पूर्वी हिस्से उड़ीसा में राखी को गमहा पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर के गायों और बैलों को सजाते हैं और एक खास तरह की डिश, जिसे मीठा और पीठा कहा जाता है, बनाते हैं। राखी के दिन उड़ीसा में मीठा और पीठा को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है। यही नहीं, इस दिन राधा-कृष्ण की प्रतिमा को झूले पर बैठाकर झूलन यात्रा मनायी जाती है।

नराली पूर्णिमा भी मनाया जाता है धूमधाम से

महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में राखी को नराली पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन नारियल को समुद्र देवता को भेंट किया जाता है। नराली शब्द मराठी से आया है और नराली को नारियल कहा जाता है। समुद्र देवता को नारियल चढ़ाने के कारण ही इसे नराली पूर्णिमा कहा जाता है।

उत्तराखंड में जनेऊ बदलकर मनाया जाता है रक्षाबंधन

उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके में रक्षाबंधन को जानोपुन्यु कहा जाता है। इस दिन लोग अपने जनेऊ को बदलते हैं। जनेऊ का मतलब एक पवित्र धागा है, जो यहां के लोग पहनते हैं।

कजरी पूर्णिमा भी है खास

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में इसे कजरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह किसानों और महिलाओं के लिए एक खास दिन होता है। गुजरात के कुछ हिस्सों में रक्षाबंधन को पवित्रोपन के नाम से मनाया जाता है। इस दिन गुजरात में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

पश्चिम बंगाल में झूलन पूर्णिमा के नाम से है मशहूर

पश्चिम बंगाल में रक्षाबंधन को झूलन पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है, साथ ही महिलाएं अपने भाइयों के अच्छे जीवन के लिए उनकी कलाइयों पर राखी बांधती है। राखी को स्कूल, कॉलेज और मुहल्ले के लोग भी मनाते हैं ताकि भविष्य में अच्छे रिश्ते बने रहें। तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, गोवा, कोंकण और उड़ीसा में भी लोग राखी को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन लोग एक तरह के पवित्र धागे को बदलते हैं और तरह-तरह के पवित्र पकवान बनाते और खाते हैं।

 

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