दिल्ली और अन्य राज्यों में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मंगलवार को 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सामीक्षा मीटिंग कर स्थिति का जायजा लिया। राज्यों के मुख्यमंत्री समीक्षा मीटिंग में अपनी तैयारिओं के बारे में बताया साथ ही साथ अपनी समश्याओं को प्रधानमंत्री जी के सामने रखा। वहीँ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केरजीवाल अपना एजेंडा लेकर मीटिंग में बैठे दिखे।
दिल्ली के मख्यमंत्री बायो-डिकम्पोस्टिंग मैनेजमेंट लेकर मीटिंग में बैठे थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रदूषण को कम करने के कारगर उपाय खोजने के बजाय केंद्र सरकार को बायो-डिकम्पोस्टिंग बेंच रहे थे। और वो भी तब जब खेतों में पराली जलाई जा चुकी है। जब पड़ोसी राज्यों में फसल कट रही थी तब केजरीवाल का यह बायो-डिकम्पोस्टिंग मैनेजमेंट कहाँ गायब था ? उसी समय अपना यूनिक बायो-डिकम्पोस्टिंग तकनीक पड़ोसी राज्यों में बेच लेनी थी। लेकिन तब केजरीवाल कृषि बिल के विरोध की आड़ में पड़ोसी राज्यों के साथ वोट मैनेजमेंट चला रहे थे। पंजाब में इस वर्ष पराली ज्यादा जलाई जा रही यह उसी का नतीजा है। केजरीवाल जी को सायद पता नहीं कि बायो-डिकम्पोस्टिंग तकनीक मोदी जी की सरकार ने वर्ष 2016 में सॉलिड वेस्ट मॅनॅग्मेंट (SWM ) एक्ट -2016 में देश भर में लागू की थी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तैयार किये गए डाटा के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि इस वर्ष पराली जलाने से दिल्ली के प्रदूषण (PM 2.5 ) में 5 % का इजाफा हुआ है। पिछले वर्ष यह 10% तक था जो इस वर्ष टोटल 15% हुआ है। हरियाणा में इस वर्ष 28 % तक कम परली जलाई गई। पर्यावरण मंत्रालय के अथक प्रयासों के बाद ही यह संभव हो पाया है। केंद्र सरकार इस बात की भी समीक्षा कर रही कि आखिर पंजाब में इस वर्ष ज्यादा पराली क्यों जलाई जा रही है।
AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने साफ कहा कि उन्होंने दिल्ली में दुबारा कोरोना संक्रमित मरीजों के बढ़ने के पीछे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होना बताया है। अगर अन्य राज्यों में सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है तो दिल्ली में भी राज्य सरकार ही जिम्मेदार है। आप की सरकार दिल्ली में सोशल डिस्टैन्सिंग मैनेजमेंट में पूरी तरह से फ़ैल रही है।
(लेखक भारतीय जनता पार्टी के जम्मू-काश्मीर के सह-प्रभारी हैं)