महाशिवरात्रि पर मदार के फूलों से करें पूजा, मिलेगा मोक्ष

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महाशिवरात्रि हिन्दुओं का खास त्यौहार है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना कर शिव जी को प्रसन्न करते हैं। तो आइए हम आपको महाशिवरात्रि का महत्व तथा पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

शिवरात्रि को महाशिवरात्रि क्यों कहा जाता है।

हर साल साधना के लिए शरद पूर्णिमा की मोहरात्रि, दीवाली की कालिरात्रि तथा महाशिवरात्रि की सिद्ध रात्रि महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस तीन अवसरों पर पूजा-अर्चना से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। हर महीने की कृष्ण पक्ष के दिन आने वाली त्रयोदशी को शिवरात्री कहा जाता है। लेकिन फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। यह महाशिवरात्रि साल की अन्य शिवरात्रि से खास होती है क्योंकि इसी दिन शिव जी तथा पार्वती का विवाह भी सम्पन्न हुआ था। 

यह महाशिवरात्रि है बहुत खास

21 फरवरी को आने वाली महाशिवरात्रि की खास बात यह है इस दिन एक अदभुत संयोग बन रहा है जो 117 सालों बाद बना है।  ज्योतिषयों का मानना है कि इस संयोग में शनि स्वयं की राशि मकर में है और शुक्र अपनी उच्च की राशि मीन में होंगे। इससे पहले यह संयोग 1903 में बना था। ऐसी मान्यता है इस संयोग में शिव आराधना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा मनोकामनाएं पूर्ण हो जाते हैं।

Mahashivratri

आइए जानें क्यों मनायी जाती है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि मनाए जाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव पहली बार अग्नि ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यह ऐसा ज्योर्तिलिंग था जिसका न कोई आदि होता है न अंत। इस ज्योर्तिलिंग पर ब्रह्मा जी ने हंस रूप धारण कर चढ़ने का प्रयास किया था लेकिन वह सफल न हो सके। इसी तरह विष्णु भगवान ने भी वाराह रूप धारण इसे खोजने की कोशिश की थी लेकिन खोज नहीं सके।

एक अन्य पौराणिक मान्यता के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन शंकर भगवान तथा मां पार्वती की शादी हुई थी। इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही 64 शिवलिंग उत्पन्न हुए । इन 64 शिवलिंगों में से 12 शिवलिंग पाए गए हैं जिन्हें ज्योर्तिलिंगों के नाम से जाना जाता है।

इन फूल-पत्तियों को अर्पित कर शिव को करें प्रसन्न

महाशिवरात्रि के दिन भक्त शिव जी को प्रसन्न कर आर्शीवाद प्राप्त करते हैं। इसके लिए शिव-आराधना में कुछ चीजों को प्रयोग जरूर करें। शिवपुराण में कहा गया है कि शिव जी को फूल तथा पत्तियां दोनों अर्पित कर सकते हैं।

अगर आप अविवाहित हैं और सुयोग्य जीवन साथी की तलाश में हैं तो शिव जी को बेला के फूल चढ़ाएं इससे आपकी मनोकामना जल्दी ही पूरी होगी। 

महाशिवरात्रि के दिन कनेर के फूल शिवलिंग पर अर्पित करने से मनचाहा लाभ मिलता है। साथ ही पूजा में अगस्त्य के फूल चढ़ाने से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। हरसिंगार के फूलों से शिवजी की अर्चना से सुख और वैभव में वृद्धि होती है।

पूजा में जूही का फूल इस्तेमाल करने से घर में दुख-दारिद्रय नहीं आते हैं तथा जीवन सुखमय बना रहता है। चमेली के फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है तथा वाहन का सुख प्राप्त होता है।

शिवजी को धतूरा विशेष रूप से पसंद है, इसके लिए धतूरे का फल तथा फूल चढ़ाएं। जल्दी ही संतान सुख मिलेगा। अलसी के फूल से पूजा भी लाभदायी होती है इससे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। मदार के फूल अर्पित करने से मोक्ष मिलता है तथा घर में सुख-समृद्धि आती है।

शमी के फूल से पूजा करने से धन-संपदा आती है तथा शनि ग्रह से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।

इन चीजों का प्रयोग है वर्जित

महाशिवरात्रि के दिन शिवजी को सभी प्रसन्न करना चाहते हैं इसलिए पूजा के दौरान कुछ सावधानी बरतें। साथ ही नीचे दी चीजों का प्रयोग नहीं करें।

1.शिवपूजा में अक्षत या चावल का विशेष महत्व होता है लेकिन कभी भी टूटे हुए चावल पूजा में प्रयोग नहीं करें।

2.शिवलिंग पर कभी भी तुलसी-पत्र का इस्तेमाल न करें।

3.शास्त्रों में शिवलिंग पर कुमकुम या सिंदूर का प्रयोग भी वर्जित माना गया है।

4.शिवउपासना में भूलकर भी शंख को प्रयोग में नहीं लाएं। यही नहीं पूजा में नारियल चढ़ाना भी अच्छा नहीं माना जाता है।

5.शिव जी आराधना में तिल का प्रयोग न करें।

 

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