Bhagalpur: कोरोना जनित वैश्विक महामारी के दौरान बिल्कुल चौंका देने एवं आँखे खोल देने वाले कुछ तथ्यों को आपके सामने रख रहा हूँ. मैं, ये अनुभव और पर्यवेक्षण के आधार पर बिहार के एक बड़े कहे जाने वाले शहर की बात कर रहा हूँ.
बिहार का ये शहर भागलपुर कोई 100-150 किलो मीटर के दायरे में शिक्षा और चिकित्सा के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है. ये बात मैं इस शहर के सन्दर्भ में भले ही कर रहा हूँ, लेकिन ये भारत के प्रत्येक शहर और कस्बे का सच है.
अब इस शहर में न्यूनतम स्थापित चिकित्सकों की संख्या कोई 1000-1500 के बीच होगी. और उनके यहाँ मरीजों की संख्या औसत से कम भी मान लिया जाए तो कोई 20 - 25 हज़ार निश्चित रहती है. इस तरह प्रत्येक दिन इनके द्वारा कोई 25-30 हजार मरीजों का ईलाज तो हो ही रहा था. और इतने मरीजों को सेवा देने के लिए कितने पैथोलॉजी, अल्ट्रा साउन्ड, एम आर आई, एक्स रे, सी टी स्कैन की पूरी व्यवस्था थी, और फिर दवा, सर्जरी, सुई का पूरा तंत्र. और ये क्रम वर्षों से और और बढ़ता ही जा रहा था.
लेकिन विगत 5 महीनों से ये वयवस्था पूरी तरह ठप्प है, सारे नर्सिंग होम, जाँच घर वैगरह सभी कुछ बंद है - तो उन मरीजों का क्या हुआ, वो सारे के सारे और बीमार हो गए बिना इलाज के, बिना चिकित्सीय परामर्श के, या उनमें से अधिकांश मर गए? नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ - मृत्यु दर अप्रत्याशित रूप से घट गई है - ये श्मशान में जलने वाले मृतकों की संख्या के आधार पर बता रहा हूँ. अब एम्बुलेंस का भयानक साइरन भी बहुत कम सुनाई दे रहा है.
भाई, लोग इन चिकित्सकीय जाल से मुक्त होकर सुबह-सुबह गर्म पानी, तुलसी, अदरख, काली मिर्च, आसन, प्राणयाम के नियमित अभ्यास से, और आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक दवा खाकर, होटल का और सड़क पर के खाने से मुक्त होकर पहले की तुलना में बहुत ज्यादा स्वस्थ हुए हैं. अब समझ में आता है कि भारत में हेल्थ-केयर सिस्टम की जगह हेल्थ-स्केयर सिस्टम बना रखा था. मरीज़ को डर पैदा कर उसका दोहन करना था. बीमारी का गंभीर और कठिन नाम, उससे भी कठिन उसका जाँच और फिर कभी ना खत्म होने वाली अंत हीन इलाज का सिलसिला.
माँ प्रकृति ने इस आपदा में एक अवसर प्रदान किया है तथ्यों के तथ्यपरक विश्लेषण कर अपने लाइफ स्टाइल में आमूलचूल परिवर्तन कर, माँ प्रकृति के साथ एकात्म होकर, स्वस्थ हो जाने, प्रसन्न हो जाने और ज्यादा आनंदमयी और सार्थक जीवन जीने के लिए.
(लेखक एक शिक्षाविद हैं)