#शिक्षानीति: ज़रूरत हैं नॉलेज ज़ोन की

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भारत को यदि वैश्विक पटल पर अपनी भूमिका का निर्वाह करना है, तो स्पष्ट है कि हम विश्व स्तरीय हों भी. 21 वीं शती के उत्तरार्ध तक आते आते विश्व एक knowledge world में परिवर्तित हो चुका होगा और जो भी देश इस मापदण्ड पर सफल होंगे, उनका ही लीग विश्व के अन्य देशों को लीड करेगा.

Knowledge world से तात्पर्य है कि सूक्ष्म से सूक्ष्म और स्थूल से स्थूल प्रोडक्ट पर knowledge (ज्ञान) की स्पष्ट छाप दिखेगी. और भारत की वर्तमान तैयारी उसे अगले 200 वर्षों में कहीं नहीं पहुंचाएगी.

भारत को भ्रस्टाचार नाम का जो प्रेत पकड़े है उसकी भी मुक्ति का साधन इसी ज्ञान में है और हम उसका समाधान ढूंढ रहे हैं CVC, Anti Corruption Cell और IPC की धाराओं में - क्या इसमे कोई कमी आयी या उत्तरोत्तर ये बढ़ा ही?

भ्रस्टाचार के मूल में है भय, instability और अपनी अगली generations के non - deserving होने के बावजूद सफल करने की मंशा, किसी अज्ञात गंभीर बीमारियों की स्थिति में महँगे इलाज को efford करने की इक्षा - अन्य भी कई होंगे लेकिन चूँकि ऊपर से नीचे तक ये व्याप्त है, इसलिए भ्रस्टाचार निरोधी हर प्रयोग असफल सिद्ध हुआ.

अतः शिक्षा और चिकित्सा सुविधा को केंद्र में रखकर एक दूरदर्शी और कारगर नीति निर्धारण और मिशन मोड में क्रियान्वयन ही समाधान प्रस्तुत कर सकता है.

अब ये समझना होगा कि क्या कोरी कल्पना है ये या इसे धरातल पर उतारा जा सकता है!

भारत क्यों राज्यों में और राज्य जिलों में और जिले प्रखंड और ब्लॉक में बांटे गए थे - प्रशासनिक सुविधा और क्रियान्वयन की effectivity के लिए ही ना! तो क्यों नहीं स्कूल - कॉलेज और अस्पताल इसी तर्ज़ पर लागू किए गए.

एक मॉडल रखते हैं - देखें कि ये व्यवहारिक है :

सबसे पहले शिक्षा को भी इंडस्ट्री मानना शुरू करें. जब ये इंडस्ट्री होगा तो SEZ की तरह Special Knowledge Zone बने. इसे पुनः आयु वर्ग के आधार पर sub -zones में बांटे. और जितने भी schools की जरूरत हो वो इसी Zone में हो. पूरे शहर में छोटी छोटी इन्वेस्टमेंट पर आधारित low infrastructures वाले स्कूल न हों. हर आयु-वर्ग के लिए कॉमन स्पोर्ट जोन, कॉमन trainers, Acoustic organized lab, high quality subsidized /free nutritious food / मॉडर्न science, आर्ट्स लैब, ऑडिटोरियम, workshops complex हों. स्कूलिंग यदि कॉमन होगी, तभी आप कॉमन पूल ऑफ टैलेंटेड teachers और trainer ईस्तेमाल कर सकेंगे. इस SKZ में अपने स्कूल खोलने की स्पष्ट knowledge eligibility हो, जो केवल डिग्री पर आधारित ना हो - vision, passion, experience, capacity पर भी निर्भर हो. और जो प्रोडक्ट तैयार हों उनका इंडस्ट्री स्पेसिफिक क्वालिटी कंट्रोल भी होता रहे. क्योंकि भारत को और विश्व को सिर्फ इंजीनियर, डॉक्टरों की ही जरूरत नहीं है उसे musician भी चाहिये, entertainer भी चाहिये, teachers भी चाहिए, शेफ भी चाहिए, स्पोर्ट्स पर्सन भी चाहिए और वो भी वर्ल्ड क्लास. जब तक इनपुट, प्रयास , ट्रेनिंग, टेस्टिंग, rectification वर्ल्ड क्लास नहीं होगा तब तक वर्ल्ड क्लास output नहीं बन सकते. अपने curriculam को भी इतना varied और innovative होना पड़ेगा कि कोई भी स्टूडेंट को उसके रुझान के अनुरूप ढाला जा सके.

यदि ऐसा हो गया तब किसी भी माँ बाप को इसकी चिंता नहीं रहेगी कि उसके बच्चे को नौकरी या स्थायित्व मिलेगा या नहीं जीवन में. इतने skilled बच्चों की demand कभी कम नहीं हो सकती और वो इतने सक्षम होंगे कि entrepreneurs बनकर देश और दुनिया के लिए necessary industries के epicenter बन पायेंगे. और उस स्थिति में भ्रष्टाचार की अनिवार्यता भी घटेगी क्योंकि low confidence और higher expectations भी important factor है भ्रस्टाचार का.

(लेखक एक शिक्षाविद हैं)

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