लॉकडाउन में ऐसे मनाएं बैसाखी

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New Delhi: बैसाखी और सतुआन जैसे नामों से मशहूर यह त्यौहार मेष संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है। यह त्यौहार मौसम में बदलाव और फसलों की पैदावर की खुशी को दर्शाता है। देश भर में इस त्यौहार को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। लेकिन इस साल कोरोना संकट के कारण देश में लॉकडाउन है। इसलिए अपने घर में रह कर त्यौहार मनाएं , फिजिकल डेस्टेंसिंग का पालन करें और सोशल मीडिया के जरिए दोस्तों को दें बधाई। तो आइए हम आपको बैसाखी के विविध रंगों से परिचित कराते हैं।

मेष संक्रांति का महत्व

मेष संक्रांति का सम्बन्ध मौसम में बदलाव, खेती और प्रकृति से होता है इसलिए संक्रांति के दिन इनकी पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य की उपासना की जाती है क्योंकि यह संसार उनके कारण ही चल रहा है। साथ ही मौसम के बदलाव से धरती अन्न पैदा कर रही है जिससे जीवन में खुशहाली आती है। इसलिए ऋतु-परिवर्तन तथा फसलों की भरमार होने पर यह त्यौहार मनाया जाता है।

ऐसे करें मेष संक्रांति की पूजा

संक्रांति का दिन बहुत खास होता है और इसे पूर्णिमा तथा एकादशी की भांति ही शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन विशेष प्रार्थना कर अपने आराध्य को प्रसन्न कर विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इस समय कोरोना संकट के समय लॉकडाउन के दौरान आप घर में रहकर अपने संकट से उबरने के लिए प्रार्थना करें।

मेष संक्रांति बहुत शुभ तिथि होती है इस दिन उपवास भी रखा जाता है। उपवास से एक दिन पहले केवल एक ही समय भोजन करें। संक्रांति के दिन व्रत रखने के लिए उपवास का संकल्प लें। प्रातः काल जल्दी उठकर तिल वाले पानी से स्नान कर सूर्य की उपासना करें। उसके बाद  अपने आराध्या की पूजा कर नए अनाज और फल इत्यादि दान करें। संक्रांति के दिन बिना तेल का भोजन करना चाहिए। अभी लॉकडाउन के दौरान आपके आसपास बहुत से लोग भूखमरी के शिकार होंगे आप उन्हें खाना खिला सकते हैं । साथ ही अपने गली-मुहल्ले के जानवरों और पशु-पक्षियों को भी खाना दें।

खुशियों का प्रतीक है बैसाखी त्यौहार

मेष संक्रांति पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नाम से जाना जाता है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के कुछ इलाके में मेष संक्रांति बैसाखी के नाम से मनाया जाता है। बैसाख महीने में पड़ने के कारण इस त्यौहार को बैसाखी कहा जाता है। बैसाखी मुख्य रूप से खुशियां का प्रतीक होता है। लहलहाती फसलों की कटाई के बाद  किसान त्यौहार मनाते हैं। इस दिन लोग ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते और गाते हैं।  बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और वहां भजन होता है। घर में विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और लोग मिलजुल कर खाते हैं। दोस्तों और रिश्तेदार को दावत पर बुलाया जाता है और ईश्वर को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद भी दिया जाता है। लेकिन इस साल लॉकडाउन के दौरान घर में रह कर बैसाखी मनाएं। सोशल मीडिया और फोन के जरिए दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई दें।

केरल में भी मनायी जाती है मेष संक्रांति

केरल में इसे विशु के नाम से जाना जाता है। केरल में विशु के दिन नए कपड़े पहने जाते हैं। लोग प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए आतिशबाजी करते हैं और विशु कानी सजाते हैं। साथ ही तमिलनाडु में इसे पुथंडू के नाम से मनाया जाता है।

उत्तराखंड में मनाया जाता है बिखोरी उत्सव

मेष संक्रांति  को उत्तराखंड में बिखोरी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां पवित्र नदियों में डुबकी लेने की परंपरा है। साथ ही कुछ लोकप्रिय प्रथाएं भी प्रचलित हैं। इस लोकप्रिय प्रथा में प्रतीकात्मक राक्षसों को पत्थरों से मारने की परंपरा है।

असम में मनाया जाता है बिहू

मेष संक्रांति को असम में बिहू के नाम से मनाया जाता है। असम में बिहू को बोहाग बिहू या रंगली बिहू भी कहा जाता है।

 

बंगाल में मनाने का अंदाज है अनोखा

मेष संक्रांति को बंगाल में पोइला बैसाखी के नाम से मनाया जाता है। बंगाली लोग पोइला बैसाख को नए साल के शुरूआत के रूप में मनाते हैं। इसे 'पाहेला बेषाख' भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है सतुआन

उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में मेष संक्रांति के दिन सतुआन मनाया जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान कर देवी-देविताओं की पूजा करते हैं। साथ ही सत्तू खाते हैं। सत्तू को लोग आम की चटनी, नमक और मिर्च के साथ खाते हैं। ऐसा माना जाता है कि सत्तू के सेवन से गर्मी की तपिश से बचा सकता है।

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