केंद्र सरकार के सुधारों पर विश्व बैंक की मुहर, भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की सूची में टॉप 100 में शामिल

959

 

ईज ऑफ डूइं‍ग बिजनेस की हालिया सूची में सरकार की ओर से किए गए सुधारों का असर साफ तौर पर देखने को मिला है. भारत ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामलें में एक लंबी छलांग लगाई है. इस छलांग के साथ भारत 100 वे स्थान पर पहुंच गया है.

आपको बता दे कि बीते वर्ष 190 देशों के सूची में भारत 130 वे स्थान पर था. वहीं साल 2014 में भारत ईज ऑफ डू‍इंग बिजनेस के मामले में 142 वें नंबर पर रहा था.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्व बैंक की रिपोर्ट के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि अब हमारा लक्ष्‍‍‍य टॉप 50 की पोजिशन हासिल करना है.

अरुण जेटली ने पूर्व की सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कारोबार करने के लिए माहौल संबंधी विश्व बैंक के रिपोर्ट पहले भी आती थी. लेकिन पूर्व की सरकारों ने कभी उसे खास तवज्जो नहीं दी.

मौजूदा केंद्र सरकार ने न सिर्फ इसे तवज्जो दिया बल्कि किस तरह से इस सूची में अपनी रैंकिंग सुधारी जाए.  इसको लेकर एक सोची समझी रणनीति लागू की. एक वर्ष के भीतर इस रैकिंग में 30  अंकों की छलांग इस सोची समझी रणनीति का ही उदाहरण है.

आपको बता दे कि अरुण जेटली ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर और अपनी दूसरी एजेंसियों के जरिये कारोबार से जुड़े अवरोधों को दूर करने के लिए कदम उठाये. 

साथ ही मुंबई व दिल्ली के नगर निगमों के साथ मिलकर ही उन मानकों पर काम किया गया. जिनकी वजह से अभी तक भारत इस रैकिंग में फिसड्डी साबित हो रहा था.

ऑनलाइन भुगतान में आई तेजी

नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से देश भर में ऑनलाइन भुगतान को लेकर जो कदम उठाये गये हैं उसने भी रैकिंग सुधारने में मदद की है.

कॉरपोरेट आयकर भुगतान की प्रक्रिया आसान बनाई गई है. भविष्य निधि की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर करने की व्यवस्था की गई है. अब किसी भी तरह के करों के भुगतान में पहले से कम वक्त लगता है. यही वजह है कि कर भुगतान के मामले में भारत की रैकिंग में 53 स्थानों का सुधार हुआ है.

विश्व बैंक ऐसे करता है रैंकिंग

दस संकेतकों के आधार पर विश्व बैंक प्रदर्शन का आकलन करके रिपोर्ट जारी करता है. रिपोर्ट की अहमियत इसलिए है क्योंकि इससे देश में व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया की सरलता का पता चलता है. दस संकेतकों के आधार पर सभी देशों की रैंक तय की जाती है.

इनमें बिजली कनेक्शन लेने में वक्त, अनुबंध लागू करना, कारोबार शुरू करना, संपत्ति पंजीकरण, दिवालियेपन के मामले सुलझाना, निर्माण प्रमाणपत्र, कर्ज लेने में लगने वाला समय व अन्य शामिल हैं.